सदनों में हंगामा चिंता का विषय, पीठासीन अधिकारियों को सबकी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए: बिरला |

सदनों में हंगामा चिंता का विषय, पीठासीन अधिकारियों को सबकी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए: बिरला

सदनों में हंगामा चिंता का विषय, पीठासीन अधिकारियों को सबकी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए: बिरला

:   Modified Date:  September 24, 2024 / 07:16 PM IST, Published Date : September 24, 2024/7:16 pm IST

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायी सदनों में हंगामे और कटुता पर चिंता जताते हुए मंगलवार को कहा कि पीठासीन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सदन में सभी की भागीदारी हो और सरकार की नीतियों तथा कार्यक्रमों पर शालीनतापूर्वक चर्चा हो।

उन्होंने 10वें ‘राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन’ के समापन के मौके पर पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया कि वे दलों के बीच निरंतर संवाद बनाए रखें और राजनीति के नए मानक स्थापित करें।

इस सम्मेलन के समापन के बाद बिरला ने पत्रकारों से भी संवाद किया और इस दो दिवसीय सम्मेलन में हुई चर्चा के बारे में जानकारी दी।

लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, सम्मेलन में बिरला ने कहा, ‘‘विधानमंडलों में हंगामा और कटुता चिंता का विषय है। इस मुद्दे पर समय-समय पर पीठासीन अधिकारियों के साथ चर्चा की गई है और पीठासीन अधिकारियों से सदन की कार्यवाही का संचालन गरिमा और शिष्टाचार के साथ तथा भारतीय मूल्यों और मानकों के अनुसार करने का आग्रह किया गया है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि सदन की परंपराओं और प्रणालियों का स्वरूप भारतीय हो तथा नीतियां और कानून भारतीयता की भावना को मजबूत करें ताकि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का लक्ष्य प्राप्त हो सके।

बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि सदन में सभी की भागीदारी हो और सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर शालीनतापूर्वक चर्चा हो।

उनका कहना था, ‘‘हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता से जुड़ने और उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए। पीठासीन अधिकारियों को देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को पारदर्शी, जवाबदेह और परिणामोन्मुखी बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।’’

उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि विधानमंडलों के प्रभावी संचालन के लिए नए सदस्यों को सदन के कामकाज, सदन की गरिमा और शिष्टाचार तथा जनसाधारण के मुद्दों को उठाने के लिए उपलब्ध विधायी साधनों के बारे में व्यापक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष ने पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया कि वे दलों के बीच निरंतर और सुसंगत संवाद बनाए रखें और राजनीति के नए मानक स्थापित करें।

बिरला ने इस बात पर खुशी जताई कि विधायी निकाय अपने राज्यों में विधानमंडलों में प्रक्रियाओं और अभिलेखों का डिजिटलीकरण कर रहे हैं और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके जनप्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण के लिए प्रयास कर रहे हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि ऐसे उपाय विधानमंडलों की कार्यकुशलता और प्रभावशीलता को बेहतर बनाने में बहुत सहायक साबित होंगे।

उन्होंने सुझाव दिया कि जहां आवश्यक हो, राज्य विधानमंडलों को डिजिटलीकरण की गति को बढ़ाना चाहिए ताकि ‘एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म’ के सपने को साकार किया जा सके।

बिरला ने यह आश्वासन भी दिया कि सम्मेलन के दौरान पीठासीन अधिकारियों द्वारा उठाए गए मुद्दों जैसे वित्तीय स्वायत्तता, सदनों के सत्रों के दिनों की संख्या में कमी, ई-विधान आदि पर आगे चर्चा की जाएगी और स्वीकार्य समाधान निकाले जाएंगे।

इस सम्मेलन में चार सभापतियों और 25 अध्यक्षों सहित 42 पीठासीन अधिकारी और राज्यों के प्रधान सचिव/सचिव और उनके साथ आए अधिकारी शामिल हुए।

भाषा हक हक वैभव

वैभव

 

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