(तस्वीर सहित)
प्रयागराज, 12 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के पीसीएस ‘प्री’ और आरओ..एआरओ की परीक्षा दो दिन में संपन्न कराने के निर्णय के विरोध में सोमवार को शुरू हुआ छात्र आंदोलन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है। देर रात जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त ने आयोग में बैठक की, जो बेनतीजा रही।
आंदोलनरत छात्रों ने रात खुले आसमान के नीचे गुजारी और मंगलवार की सुबह फिर से धरना प्रदर्शन में जुट गए। जो छात्र छात्राएं रात में अपने घर चले गए थे, वे मंगलवार सुबह आयोग के गेट पर पुन: एकत्रित हो गए और आंदोलन शुरू कर दिया।
इस बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने छात्रों के पक्ष में आवाज उठाते हुए परीक्षा केंद्रों के व्यवस्थापन एवं निर्धारण, नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण), परीक्षाओं को दो पाली में करवाने एवं परीक्षाओं की शुचिता बनाए रखने हेतु आयोजन संबंधी विषयों पर अभ्यर्थियों से बातचीत करके शीघ्र सकारात्मक उचित कदम उठाने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सोमवार रात एक बयान जारी करके कहा था, “परीक्षाओं की शुचिता और छात्रों के भविष्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से परीक्षाएं केवल उन केंद्रों पर कराई जा रही हैं, जहां किसी प्रकार की गड़बड़ियों की कोई संभावना नहीं है। पूर्व में दूर-दराज के परीक्षा केंद्रों में कई प्रकार की गड़बड़ियां संज्ञान में आयी हैं, जिन्हें खत्म करने के लिए यह कदम उठाए गए हैं।”
आयोग ने बयान में कहा कि परीक्षाओं के संबंध में अभ्यर्थियों ने आयोग को पत्र भेजकर बताया है कि कुछ टेलीग्राम चैनल एवं यू ट्यूबर्स द्वारा परीक्षा को टलवाने की साजिश की जा रही हैं।
प्रतियोगी छात्रों ने सोमवार सुबह से यहां लोक सेवा आयोग के गेट पर धरना प्रदर्शन शुरू किया। दिन ढलने के साथ हजारों की संख्या में छात्रों ने मोबाइल फोन की टॉर्च जलाकर एकता दिखाई।
इससे पूर्व, आंदोलन शुरू होने के समय आयोग के आसपास भारी संख्या में तैनात पुलिसकर्मियों ने छात्रों को गेट नंबर दो की तरफ आने से रोका, लेकिन भारी संख्या में छात्र छात्राओं की भीड़ बैरिकेड को पार करते हुए गेट के पास पहुंची और धरने पर बैठ गई। पुलिस ने छात्रों को तितर बितर करने के लिए उन्हें खदेड़ा, लेकिन आंदोलनरत छात्र फिर से वहां एकत्रित हो गए।
लोक सेवा आयोग के गेट के सामने धरने पर बैठे छात्रों के हाथों में अलग अलग नारे लिखी तख्तियां थीं, जिसमें किसी में लिखा था “बटेंगे नहीं, हटेंगे नहीं, न्याय मिलने तक एक रहेंगे”, तो किसी में लिखा था, “एक दिन, एक परीक्षा”।
आयोग ने पिछले मंगलवार को इन परीक्षाओं की तिथियों की घोषणा की। प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) ‘प्री’ की परीक्षा के लिए जहां सात और आठ दिसंबर की तिथि घोषित की गई है, वहीं समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ..एआरओ) ‘प्री’ की परीक्षा के लिए 22 और 23 दिसंबर की तिथि घोषित की गई है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के प्रदेश मीडिया संयोजक अभिनव मिश्र ने मंगलवार को एक बयान जारी करके कहा कि अभाविप, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन, शुचिता एवं पारदर्शिता से संबंधित अभ्यर्थियों की चिंताओं का जल्द निराकरण करने की मांग करती है, जिससे अभ्यर्थी परीक्षा की तैयारी बिना किसी आशंका एवं संदेह के कर सकें। उन्होंने कहा कि इसी के साथ अभाविप प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज की भी निंदा करती है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री अंकित शुक्ला ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित पीसीएस एवं आरओ/एआरओ की आगामी परीक्षाओं में आयोग द्वारा निर्धारित नियमावली से अभ्यर्थियों के मन में कुछ आशंकाएं व्याप्त हैं, जिसे लेकर अभ्यर्थी लगातार कई स्तरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। अभाविप उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से यह मांग करती है की अभ्यर्थियों की समस्त चिंताओं का जल्द से जल्द निराकारण आयोग को करना चाहिए। अभाविप का यह स्पष्ट मत है की परीक्षाओं की शुचिता एवं पारदर्शिता से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं है एवं केंद्र निर्धारण एवं मानकीकरण को लेकर अभ्यर्थियों की समस्त चिंताओं का गंभीरतापूर्वक निराकरण होना चाहिए।’’
अभाविप, काशी प्रांत के प्रांत मंत्री अभय प्रताप सिंह ने कहा, ‘‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उत्तर प्रदेश में पीसीएस एवं आरओ/एआरओ की परीक्षाओं के शुचितापूर्ण आयोजन हेतु अभ्यर्थियों द्वारा व्यक्त की जा रही चिंताओं के जल्द निराकरण की मांग आयोग से करती है।
सिंह ने कहा कि इस संदर्भ में अभाविप आयोग से ‘नॉर्मलाइजेशन’ की प्रक्रिया, केंद्र निर्धारण संबंधी आशंकाओ के निराकरण एवं उक्त प्रतियोगी परीक्षाओ हेतु निर्धारित जिलों की संख्या बढ़ाने की मांग करती है।
प्रांत मंत्री ने कहा, ”हम प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हैं। हमारा यह स्पष्ट मत है की समस्त चिंताओं के निराकरण का माध्यम सतत संवाद ही होना चाहिए।’’
भाषा राजेंद्र आनन्द वैभव अमित
अमित
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