Unemployment in India: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसएसओ) ने मंगलवार को आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की वार्षिक रिपोर्ट जारी की। आंकड़ों से पता चलता है कि 2020-21 में देश की बेरोजगारी दर में कमी आयी है। 2019-20 में बेरोजगारी दर 4.8% था, जो अब (2020-21) में घटकर 4.2% हो गयी है।
वर्तमान साप्ताहिक स्थिति के अनुसार- नौकरियों के कम होने की आशंका के विपरीत बेरोजगारी दर 8.8 प्रतिशत से घटकर 7.5 प्रतिशत हो गई। लेकिन यहां एक पेंच यह है कि जब रोजगार की स्थिति में सुधार दिख रहा है, तब ही निम्न-गुणवत्ता वाले और अवैतनिक कार्यों में बढोतरी देखी जा रही है।
ऊपरी तौर पर रोजगार की स्थिति में सुधार दिख रहा है। 2020-21 में बेरोजगारी दर 4.2 प्रतिशत हो गया है। आखिरी बार सबसे अधिक बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत 2017-18 में देखने को मिला था। तब से बेरोजगारी दर लगातार गिरावट आयी है। 2018-19 में ये दर 5.8 प्रतिशत था, 2019-20 में 4.8 प्रतिशत पर पहुंचा और अब 2020-21 में 4.2 प्रतिशत रह गया है।
रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) में वृद्धि हुई है। यानी काम करने वाले या काम की चाह रखने वाले और काम के लिए उपलब्ध लोगों की संख्या पिछले चार साल में सबसे अधिक 39.3 प्रतिशत पहुंच गई है। इसी तरह श्रमिक जनसंख्या अनुपात ( WPR) में भी वृद्धि हुई है। 2020-21 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 36.3 प्रतिशत है। आबादी के कितने प्रतिशत लोग श्रम शक्ति में लगे इसकी गणना श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) में होती है। वहीं आबादी में कितने प्रतिशत लोगों के पास रोजगार है इसकी गणना श्रमिक जनसंख्या अनुपात ( WPR) में होती है।
महिलाओं की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र के पुरुषों में बेरोजगारी दर अधिक देखी गई है। 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के पुरूष जनसंख्या में बेरोजगारी दर 3.9 प्रतिशत है। वहीं महिला जनसंख्या में बेरोजगारी दर 2.1 प्रतिशत है। शहरी क्षेत्रों की बात करें तो महिलाओं का बेरोजगारी दर 8.6 प्रतिशत है। पुरुषों की जनसंख्या में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोगों के बीच खुद का रोजगार करने का ट्रेंड बढ़ा है। वर्ष 2018-19 में अनपेड सेल्फ एंप्लॉयड लोगों की संख्या 13.3 प्रतिशत थी, 2019-20 में 15.9 प्रतिशत थी, 2020-21 में ये बढ़कर 17.3 प्रतिशत हो गयी है। ग्रामीण अवैतनिक रोजगार भी 2020-21 में पिछले वर्ष के 20.0 प्रतिशत से बढ़कर 21.3 प्रतिशत हो गया, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए यह 5.7 प्रतिशत से बढ़कर 6.3 प्रतिशत हो गया।
2019-20 में ग्रामीण क्षेत्रों में अवैतनिक स्वरोजगार करने वाली महिलाएं 42.3 प्रतिशत थी। 2020-21 42.8 प्रतिशत हो गयी हैं। वहीं पहले ऐसे पुरुषों की संख्या 10.4 प्रतिशत था, जो 2020-21 में बढ़कर 11.0 प्रतिशत हो गया है। शहरी क्षेत्र में अवैतनिक स्वरोजगार करने वाली महिलाएं 2019-20 में 11.1 प्रतिशत थीं। 2020-21 में 12.4 प्रतिशत हैं। पुरुषों के लिए यह 4.1 प्रतिशत से बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो गया।
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में बताया कि उत्पादन और निर्माण जैसे 9 क्षेत्रों में 25 मार्च 2020 से पहले 3.07 करोड़ कर्मचारी काम कर रहे थे। 1 जुलाई 2020 को इन्हीं 9 क्षेत्रों में कर्मचारियों की संख्या घटकर 2.84 करोड़ हो गई, यानी पहले लॉकडाउन में 23 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं। जिनकी नौकरियां गईं, उनमें 16.3 लाख पुरुष और 6.7 लाख महिला कर्मचारी थीं।
बता दें कि बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री देबाश्री चौधरी ने पढ़े-लिखे युवाओं में बेरोजगारी दर से जुड़े आंकड़े मांगे थे, इस पर श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने जवाब दिया। उन्होंने पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के तीन साल के आंकड़े दिए, इसके मुताबिक, पढ़े-लिखे युवाओं में अनपढ़ युवाओं की तुलना में बेरोजगारी दर ज्यादा है।
इन आंकड़ों के मुताबिक, ग्रेजुएशन कर चुके युवाओं में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है, PLFS के 2019-20 के सर्वे के मुताबिक, ग्रेजुएट युवाओं में बेरोजगारी दर 17.2% है, जबकि अनपढ़ युवाओं में बेरोजगारी दर 0.6% है। अनपढ़ युवाओं की तुलना में पढ़े-लिखे युवाओं में ज्यादा बेरोजगारी दर के पीछे जानकारों का मानना है कि अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग अपना छोटा-मोटा काम शुरू कर देते हैं, जबकि पढ़े-लिखे युवा अपनी योग्यता के आधार पर काम तलाशते हैं, जिस कारण उनमें बेरोजगारी दर ज्यादा होती है।
read more: अग्निपथ भर्ती योजना: भर्ती की आग में आखिर क्यों जल रहा है बिहार? ऐसे समझिए
read more: राहुल गांधी से ED की पूछताछ पर भड़के कांग्रेसी, देशभर में मचाया बवाल
read more: योगी सरकार बुलडोजर की आड़ में द्वेषपूर्ण और असंवैधानिक कार्रवाई कर रही : राजभर