शिरडी, 11 जनवरी (भाषा)महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार को कहा कि शिवसेना (उबाठा) ने आगामी नगर निकाय चुनाव अकेले लड़ने का फैसला इसलिए किया है कि पार्टी को यह अहसास हो गया है कि 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़कर कांग्रेस के साथ गठबंधन करना एक बड़ी भूल थी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) की हार को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के बीच, इसके प्रमुख घटक दल शिवसेना (उबाठा) ने दिन में घोषणा की कि वह स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ेगी।
शिवसेना (उबाठा) नेता संजय राउत ने अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के लिए गठबंधन में शामिल दलों के कार्यकर्ताओं के लिए अवसरों की कमी और संगठनात्मक विकास के अधिकार को कारण बताया।
भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष बावनकुले ने कहा, ‘‘शिवसेना को 2019 में भाजपा और देवेंद्र फडणवीस के बजाय कांग्रेस को चुनने की अपनी गलती का अहसास हो गया है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी को अहसास हो गया है कि कांग्रेस की विचारधारा उसे आगे नहीं ले जा सकती है।’’
उद्धव ने 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ कई दशक पुराना गठबंधन तोड़ दिया था और दावा किया था कि भाजपा ने मुख्यमंत्री पद साझा करने का वादा को पूरा नहीं किया इसलिए वह अलग हो रही है। उन्होंने कांग्रेस और (अविभाजित) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया और 2019 से 2022 तक मुख्यमंत्री रहे।
बावनकुले ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन ‘महायुति’ कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए राजी करने की पूरी कोशिश करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर केंद्र से लेकर पंचायत स्तर तक एक ही विचारधारा वाली एक पार्टी या गठबंधन सत्ता में है, तो विकास के लिए रखा गया एक-एक पैसा दिल्ली से जमीनी स्तर तक पहुंचता है।’’
बावलकुले ने कहा कि महायुति में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। इसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) भी शामिल है। उन्होंने कहा कि भाजपा अहंकारी नहीं होगी और स्थानीय चुनावों में सहयोगियों को समायोजित करने का प्रयास करेगी।
मुंबई, ठाणे और नागपुर सहित कई शहरी क्षेत्रों में चुनाव 2022 की शुरुआत से लंबित हैं।
प्रदेश भाजपा के शिरडी में रविवार को आयोजित किए जा रहे एक दिवसीय सम्मेलन के बारे में बावनकुले ने बताया कि इसमें 15000 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे, जिनमें प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से 50 प्रतिनिधि शामिल होंगे।
भाषा धीरज सुभाष
सुभाष
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