किश्तवाड़ में मारे गए वीडीजीएस के दो सदस्यों को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई |

किश्तवाड़ में मारे गए वीडीजीएस के दो सदस्यों को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई

किश्तवाड़ में मारे गए वीडीजीएस के दो सदस्यों को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई

:   Modified Date:  November 9, 2024 / 05:31 PM IST, Published Date : November 9, 2024/5:31 pm IST

किश्तवाड़/जम्मू, नौ नवंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के हाथों मारे गए ‘ग्राम रक्षा गार्ड्स’ (वीडीजीएस) के दो सदस्यों का किश्तवाड़ जिले में शनिवार को उनके गांव में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।

स्थानीय लोग सुरक्षा एवं पर्याप्त राहत मुहैया कराने की मांग कर रहे हैं जिसमें मारे गए दोनों व्यक्तियों के परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी देने का अनुरोध शामिल है।

नजीर अहमद (42) और कुलदीप कुमार (40) के शव 12 घंटे के गहन तलाशी अभियान के बाद शुक्रवार को कुंतवाड़ा जंगल के अंदर एक नाले के पास मिले ।

अधिकारियों ने कहा कि इस जघन्य वारदात को अंजाम देने वाले आतंकवादियों की तलाश जारी है और घेराबंदी बढ़ाने के लिए शनिवार को आसपास के इलाकों से अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं।

दोनों ग्राम रक्षा गार्ड के शव शुक्रवार देर रात ओहली गांव स्थित उनके घर पहुंचे। अधिकारियों ने कहा कि सुबह गांव में शवों का पोस्टमार्टम किया गया, जिसमें पुष्टि हुई कि उनके सिर में पीछे से गोली मारी गई थी। उन्होंने बताया कि पीड़ितों की आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी और उनके हाथ उनकी पीठ पर बंधे हुए थे।

उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने बृहस्पतिवार को अपने मवेशियों को चराने के लिए वन क्षेत्र में गए निहत्थे ग्राम रक्षा गार्ड को मारने के लिए पिस्तौल का इस्तेमाल किया।

कुमार ने एक सप्ताह पहले अपने पिता अमर चंद को खो दिया था और इस त्रासदी के बाद यह वन क्षेत्र की उसकी पहली यात्रा थी। कुमार पिता के निधन के बाद जब शोक में डूबे थे तब उनके दोस्त अहमद ने ही उनके पशुओं की देखभाल की थी।

जहां अहमद को स्थानीय कब्रिस्तान में सबसे पहले दफनाया गया, वहीं कुमार का अंतिम संस्कार उनके गांव की बाहरी सरहद पर किया गया। अंतिम संस्कार में शामिल लोगों ने पाकिस्तान विरोधी और आतंकवाद विरोधी नारे लगाए।

पूर्व सरपंच मोहम्मद फारूक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह हमारे गांव में अपनी तरह की दूसरी घटना थी क्योंकि दशकों पहले आतंकवादियों ने एक निवासी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। 15 साल से अधिक समय पहले इस क्षेत्र को आतंकवाद से मुक्त कर दिया गया था और नवीनतम घटना ग्रामीणों के लिए चिंता का कारण है।’’

नजीर के परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटे और एक बेटी के अलावा एक दिव्यांग भाई है, जबकि कुमार के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है।

भाषा संतोष रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)