two finger test kya hota hai Supreme Court Banned Two Finger Test

‘ये दुर्भाग्यपूर्ण.. बंद करो रेप पीड़िताओं का टू फिंगर टेस्ट’, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जानिए क्या होता है टू फिंगर टेस्ट

two finger test kya hota hai रेप पीड़िताओं की जांच के लिए किए जाने वाले ‘टू-फिंगर’ टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:03 PM IST
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Published Date: October 31, 2022 2:44 pm IST

नई दिल्ली: two finger test kya hota hai रेप पीड़िताओं की जांच के लिए किए जाने वाले ‘टू-फिंगर’ टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि रोक के बावजूद अगर पीड़िता की ऐसी जांच की जाती है तो उसे दोषी करार दिया जाएगा और सजा भी दिया जाएगा। मामले में सुनवाई जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य को साफ-साफ निर्देश दिया है कि आगे से तुरंत यह परीक्षण बंद होना चाहिए।

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two finger test kya hota hai मिली जानकारी के अनुसार जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने बलात्कार और हत्या की घटना के एक दोषी को बरी करने के झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया और उसे गुनहगार करार देने के एक निचली अदालत के फैसले को कायम रखा। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत के एक दशक पुराने एक फैसले में ‘टू-फिंगर परीक्षण’ को महिला की गरिमा और निजता का उल्लंघन बताया गया था।

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पीठ ने कहा, ‘दुर्भाग्य की बात है कि यह प्रणाली अब भी व्याप्त है। महिलाओं का गुप्तांग संबंधी परीक्षण उनकी गरिमा पर कुठाराघात है। यह नहीं कहा जा सकता कि यौन संबंधों के लिहाज से सक्रिय महिला के साथ दुष्कर्म नहीं किया जा सकता।’ शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को कुछ निर्देश जारी किए और राज्यों के पुलिस महानिदेशकों तथा स्वास्थ्य सचिवों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि ‘टू-फिंगर परीक्षण’ नहीं कराया जाए। उसने कहा कि ‘टू-फिंगर’ परीक्षण करने वाले किसी भी व्यक्ति को कदाचार का दोषी ठहराया जाएगा। पीठ ने केंद्र और राज्य के स्वास्थ्य सचिवों को निर्देश दिया कि सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के पाठ्यक्रम से ‘टू-फिंगर’ परीक्षण से संबंधित अध्ययन सामग्री को हटाया जाए।

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Two Finger Test Kya hota hai क्या होता है टू फिंगर टेस्ट

टू-फिंगर टेस्ट में पीड़‍िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी टेस्‍ट की जाती है। यह टेस्ट इसलिए किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे या नहीं। अगर प्राइवेट पार्ट में आसानी से दोनों उंगलियां चली जाती हैं तो महिला को सेक्‍चुली एक्टिव माना जाता है और इसे ही महिला के वर्जिन या वर्जिन न होने का भी सबूत मान लिया जाता है।

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साइंस भी नकारती है इस तरह के टेस्ट

जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली एक पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस अदालत ने बार-बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में टू-फिंगर टेस्ट के इस्तेमाल की निंदा की है। इस टेस्टिंग का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, क्योंकि साइंस इस तरह के टेस्‍ट को पूरी तरह से नकारती है। साइंस का मानना है कि महिलाओं की वर्जिनिटी में हाइमन के इनटैक्‍ट होना सिर्फ एक मिथ है।

 

 

 

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