बारात में डीजे पर रोक, दाढ़ी रखकर आएगा दूल्हा तो नहीं मिलेगा दुल्हन, यहां जारी हुआ नया फरमान

बारात में डीजे पर रोक, दाढ़ी रखकर आएगा दूल्हा तो नहीं मिलेगा दुल्हन, यहां जारी हुआ नया फरमान

दूल्हे को राजा के रूप में देखा जाता है और वे अलग-अलग तरह की दाढ़ी रखकर समारोह में जाते हैं जो इसे 'गैर-गंभीर और फैशन वाला' बनाता है।

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:22 PM IST
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Published Date: June 26, 2022 4:11 pm IST

जोधपुर: राजस्थान में पाली जिले में दो समुदायों के नेताओं ने शादियों में फिज़ूलखर्ची रोकने के लिए कुछ नियम जारी किए हैं। इनके तहत शादी में न डीजे बजेगा, न आतिशबाज़ी होगी और न ही दूल्हे की घुड़चढ़ी होगी। इसी के साथ ही समुदाय के नेताओं ने यह भी अनिवार्य कर दिया है कि दूल्हा दाढ़ी नहीं रखेगा।

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कुमावत और जाट समुदाय के नेताओं ने शादी में दंपती के रिश्तेदारों को दिए जाने वाले तोहफे की भी सीमा तय कर दी है जिसमें ज़ेवरात, कपड़े और नकद शामिल हैं। नियम अफीम देने की प्रथा को भी हतोत्साहित करते हैं। कुम्हारों के समुदाय कुमावत के 19 गांवों के सदस्यों की 16 जून को बैठक हुई थी जहां इन नियमों को तय किया गया है।

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समुदाय के नेताओं ने कहा कि शादी एक संस्कार है और दूल्हे को राजा के रूप में देखा जाता है और वे अलग-अलग तरह की दाढ़ी रखकर समारोह में जाते हैं जो इसे ‘गैर-गंभीर और फैशन वाला’ बनाता है। कुमावत समुदाय के नेता लक्ष्मी नारायण टाक ने कहा, “इसलिए, हमने तय किया कि समुदाय का कोई भी दूल्हा किसी भी तरह की दाढ़ी नहीं रखेगा और क्लीन शेव रहेगा।” उन्होंने कहा कि साज-सज्जा, संगीत और अन्य रीति-रिवाजों पर बेवजह बड़ी राशि खर्च की जाती है।

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लक्ष्मी नारायण ने कहा, “इसलिए, हमने नियम बनाए हैं कि कोई थीम शादी व कोई सजावट नहीं‍ होगी और ‘बारात’ के दौरान डीजे नहीं बजेगा और उपहार के रूप में आभूषण और नकदी की सीमा भी तय की गई है।” इसी तरह, पाली के रोहेत अनुमंडल के अंतर्गत आने वाले पांच गांवों के जाट समुदाय ने भी विवाह समारोहों को सादा बनाने के लिए नियम बनाए हैं और बारात निकालने के चलन को खत्म करने का फैसला किया है।

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भाकरीवाला गांव के सरपंच आमनाराम बेनीवाल ने कहा, “समुदाय के सभी परिवारों के लिए शादियों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए, हमने कुछ सुधार लाने का फैसला किया है।” दूल्हे का क्लीन शेव होना अनिवार्य करने के अलावा, सुधारों में बारात के दौरान घुड़चढ़ी की रस्म को भी खत्म करने का फैसला किया गया है। डीजे बजाने और आतिशबाज़ी करने को भी हतोत्साहित किया जा रहा है।

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सुधारों को सही ठहराते हुए, बेनीवाल ने कहा कि जिनके पास पैसा है, वे अपने परिवार के सदस्यों की शादियों में दिखावा करते हैं, जो आर्थिक रूप से संकटग्रस्त परिवारों में हीन भावना पैदा करता है और वे भी ऐसी ही शादी करने के लिए उधार पैसे लेते हैं। बेनीवाल ने कहा, “इसलिए, समुदाय में समानता लाने और विवाह समारोहों में एकरूपता लाने के लिए, हमने इन नियमों को बनाया है। ” दोनों समुदाय इन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना या सजा लगाने के लिए एक मॉडल तैयार कर रहे हैं। इन गांवों में रहने वाले सभी लोगों के लिए नियमों का पालन अनिवार्य होगा।

 
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