त्रिपुरा: मंत्रिमंडल ने जनजातीय परिषद को 30 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दी |

त्रिपुरा: मंत्रिमंडल ने जनजातीय परिषद को 30 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दी

त्रिपुरा: मंत्रिमंडल ने जनजातीय परिषद को 30 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दी

:   Modified Date:  October 9, 2024 / 05:01 PM IST, Published Date : October 9, 2024/5:01 pm IST

अगरतला, नौ अक्टूबर (भाषा) त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने बुधवार को कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने छह विकास परियोजनाओं को लागू करने के लिए त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) को 30 करोड़ रुपये आवंटित करने की मंजूरी दे दी।

विकास परियोजनाओं में 10 करोड़ रुपये की लागत से पश्चिम त्रिपुरा जिले के खुमुल्वंग में स्थित एक अस्पताल का विस्तार और गोमती जिले में एक सभागार भवन का निर्माण शामिल है।

उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “राज्य मंत्रिमंडल ने छह महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं को लागू करने के लिए टीटीएएडीसी को 30 करोड़ रुपये की मंजूरी दी। हमारी सरकार छठी अनुसूची क्षेत्रों में जनजाति समुदायों के लिए बुनियादी ढांचे, आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।”

पूर्वोत्तर राज्य के मूल निवासियों की समस्याओं को हल करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार और टिपरा मोथा के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के सात महीने बाद यह घोषणा हुई।

टिपरा मोथा पार्टी के सुप्रीमो प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने टीटीएएडीसी को धन आवंटित करने के लिए सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।

उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “चार मार्च, 2024 को टिपरासा समझौते पर हस्ताक्षर के बाद टीटीएएडीसी को धन की पहली किस्त आवंटित की गयी। मैं आभारी हूं कि मुख्यमंत्री ने हमारी कुछ आवश्यकताओं को सुना और यह निर्णय लिया।”

देबबर्मा ने कहा कि बिना धन के टीटीएएडीसी में विकास कार्य जारी रखना मुश्किल है और उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया कि वह आदिवासी क्षेत्रों को धन उपलब्ध कराए।

देबबर्मा के मुताबिक, बाढ़ ने हमारे राज्य को भारी नुकसान पहुंचाया है और राज्य सरकार तथा टीटीएएडीसी दोनों ही इससे जूझ रहे हैं।

उन्होंने कहा, “भारत सरकार को हमारे राज्य को विशेष दर्जा देना चाहिए और स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) और गैर-स्वायत्त जिला परिषद (नॉन एडीसी) दोनों क्षेत्रों के लिए धन जारी करना चाहिए। मुझे यकीन है कि हम सभी, चाहे हम किसी भी पार्टी या विचारधारा के हों इस बात पर सहमत होंगे कि एक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य होने के नाते केंद्र को त्रिपुरा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।”

भाषा जितेंद्र नरेश

नरेश

 

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