अतीक की संपत्तियों को बेनामी घोषित करने का आयकर विभाग का आदेश न्यायाधिकरण ने बरकरार रखा |

अतीक की संपत्तियों को बेनामी घोषित करने का आयकर विभाग का आदेश न्यायाधिकरण ने बरकरार रखा

अतीक की संपत्तियों को बेनामी घोषित करने का आयकर विभाग का आदेश न्यायाधिकरण ने बरकरार रखा

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Modified Date: January 12, 2025 / 04:50 PM IST
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Published Date: January 12, 2025 4:50 pm IST

नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) बेनामी संपत्ति रोधी कानून से संबंधित एक न्यायाधिकरण ने मारे गए गैंगस्टर-नेता अतीक अहमद के खिलाफ व्यापक जांच के तहत आयकर विभाग द्वारा वर्ष 2023 में कुर्क किए गए छह भूखंडों की कुर्की को बरकरार रखा है।

न्यायाधिकरण ने कहा कि इन रियल एस्टेट सौदों में ‘‘संभावित’’ धनशोधन के संकेत मिले हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित 4.63 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की इन संपत्तियों को लखनऊ स्थित बेनामी निषेध इकाई (बीपीयू) ने ‘फ्रीज’ कर दिया है।

सुरक्षा गार्ड और पाव भाजी विक्रेता के रूप में काम करने वाले प्रयागराज के पीपलगांव के निवासी सूरज पाल को ‘बेनामीदार’ (जिसके नाम पर एक बेनामी संपत्ति है) नामित किया गया और अतीक अहमद के मारे जा चुके भाई खालिद अजीम उर्फ ​​अशरफ के रिश्तेदार मोहम्मद अशरफ सिद्दीकी को इन संपत्तियों के लाभ लेने वाले मालिक के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

आयकर विभाग ने अपने आदेश में दावा किया कि सिद्दीकी अतीक अहमद के ‘गिरोह का सदस्य’ था और अनेक गंभीर आपराधिक मामलों में शामिल था।

अप्रैल 2023 में प्रयागराज में पुलिस द्वारा स्वास्थ्य जांच के लिए ले जाते समय तीन हमलावरों ने अतीक अहमद और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

पिछले वर्ष 30 दिसंबर को जारी अपने आदेश में न्यायाधिकरण ने कहा कि वह इन परिसंपत्तियों को ‘बेनामी संपत्ति’ मानता है।

कर विभाग के जांच अधिकारी ने ‘उचित’ जांच की और प्रतिवादियों (पाल और सिद्दीकी) के इस तर्क में ‘कोई दम नहीं’ पाया कि जांच अधिकारी कोई उचित औचित्य या स्पष्टीकरण दिखाने में असफल रहे, जिससे उन्हें यह विश्वास करने का कारण मिल सके कि विचाराधीन संपत्तियां बेनामी हैं।

बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988 के तहत विभाग द्वारा नवंबर 2023 में कुर्की आदेश जारी किया गया था और जांच अधिकारी ने आईटी विभाग (बीपीयू) के तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त ध्रुवपुरारी सिंह से मंजूरी मिलने के बाद आरोपी को नोटिस जारी किया था।

प्रतिवादियों (पाल और सिद्दीकी) के वकीलों ने न्यायाधिकरण के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ ‘कोई सबूत’ नहीं है और कर अधिकारी ‘अनुमानों व अटकलों’ के आधार पर बेनामी संपत्ति रखने का आरोप लगा रहे हैं।

‘बेनामी’ किसी दूसरे के नाम पर ली गई संपत्ति होती है।

न्यायाधिकरण के आदेश को ‘पीटीआई-भाषा’ ने देखा है, जिसमें कहा गया है कि सिद्दीकी ने पाल के बैंक खातों का उपयोग ‘अपने अवैध या बेहिसाब धन के हेरफेर” के लिए किया था।

न्यायाधिकरण के अनुसार मोहम्मद अशरफ सिद्दीकी ने सूरज पाल की पहचान, उसके हस्ताक्षर, पैन, आधार आदि को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया था।’

न्यायाधिकरण के अनुसार इससे ‘सामूहिक रूप से संभावित धन शोधन, बेहिसाब संपत्ति और कर कानूनों का जानबूझकर अनुपालन नहीं किए जाने का संकेत मिलता है।”

न्यायाधिकरण ने कर विभाग को पाल द्वारा बेची गई अन्य सभी संपत्तियों के ‘बेनामी पहलू’ से जांच करने का भी निर्देश दिया।

भाषा जोहेब नेत्रपाल संतोष

संतोष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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