‘डीम्ड फॉरेस्ट’ से पेड़ों का प्रतिरोपण : अदालत ने वन अधिकारी को लगाई फटकार |

‘डीम्ड फॉरेस्ट’ से पेड़ों का प्रतिरोपण : अदालत ने वन अधिकारी को लगाई फटकार

‘डीम्ड फॉरेस्ट’ से पेड़ों का प्रतिरोपण : अदालत ने वन अधिकारी को लगाई फटकार

:   Modified Date:  November 20, 2024 / 07:02 PM IST, Published Date : November 20, 2024/7:02 pm IST

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक फ्लाईओवर के निर्माण के लिए ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ से तीन पेड़ों को प्रतिरोपित करने की अनुमति देने का अनुरोध करने संबंधी याचिका दायर करने को लेकर वन विभाग के एक अधिकारी को फटकार लगाई।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने संबंधित उप वन संरक्षक (डीसीएफ) को एक हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या पेड़ों को प्रतिरोपित करने के लिए अर्जी दायर करने से पहले उन्होंने इस क्षेत्र के ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ होने के पहलू पर विचार किया था।

दिल्ली में 2.5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले ऐसे क्षेत्र जिनमें प्रति एकड़ 100 वृक्षों का घनत्व हो, तथा सड़कों, नालों आदि के साथ एक किलोमीटर लम्बाई वाले भूमि क्षेत्र, इसके अतिरिक्त राजस्व भूमि अभिलेखों में पहले से ही वन के रूप में दर्शाए गए क्षेत्रों को ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ माना जाता है।

अर्जी में डीसीएफ ने कहा कि पीडब्ल्यूडी ने आनंद विहार और दिलशाद गार्डन के बीच फ्लाईओवर के निर्माण के लिए तीन पेड़ों को प्रतिरोपित करने की मांग की थी और सुचारू यातायात के लिए उस क्षेत्र में पेड़ों को हटाना आवश्यक था।

अदालत मित्र वकील गौतम नारायण और याचिकाकर्ता के वकील, अधिवक्ता आदित्य एन. प्रसाद ने कहा कि विचाराधीन क्षेत्र एक ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ है, जैसा कि शहर के अधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में खुलासा किया गया है। इसलिए, वहां पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

याचिकाकर्ता डीसीएफ के वकील ने जब अर्जी वापस लेने के लिए अदालत से अनुमति मांगी तो अदालत ने प्राधिकार से कहा कि वह पहले इस मामले में हलफनामा दाखिल करे।

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, ‘‘आप हलफनामा दाखिल करें। मैं आपको आज इसे वापस लेने की अनुमति नहीं दे रहा हूं। आप ‘डीम्ड फॉरेस्ट’में पेड़ों को काटने के लिए अर्जी कैसे दे सकते हैं? पहले जांच कर लें, मुझे बताएं कि क्या इसकी जांच हुई है।’

अदालत ने आदेश दिया, ‘‘हलफनामे में स्पष्टीकरण दें कि अर्जी दायर करने से पहले आवेदक ने इस पहलू पर विचार किया था या नहीं।’’

अदालत ने अगस्त 2023 में आदेश दिया था कि पेड़ों की कटाई के लिए कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही टिप्पणी की कि अधिकारी लापरवाही से पेड़ों को काटने की अनुमति दे रहे थे और इस संदर्भ में विवेक का प्रयोग नहीं किया जा रहा था।

भाषा

धीरज सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)