बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड में पारंपरिक फलों की पैदावार कम हो रही: अध्ययन |

बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड में पारंपरिक फलों की पैदावार कम हो रही: अध्ययन

बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड में पारंपरिक फलों की पैदावार कम हो रही: अध्ययन

:   Modified Date:  October 26, 2024 / 07:52 PM IST, Published Date : October 26, 2024/7:52 pm IST

देहरादून, 26 अक्टूबर (भाषा) बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और चरम मौसम की घटनाओं के कारण उत्तराखंड में सेब और आड़ू जैसे समशीतोष्ण फलों की किस्मों की पैदावार कम हो रही है। इसके चलते राज्य के किसान उष्णकटिबंधीय फलों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। यह बात जलवायु परिवर्तन पर शोध करने वाले संगठन ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ ने एक अध्ययन में कही है।

यह अध्ययन ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ से संबद्ध शोध प्रमुख पलक बालियान और शोध सहयोगी देबदत्ता चक्रवर्ती द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अध्ययन में कही गई।

अध्ययन में कहा गया कि कभी देश में नाशपाती, आड़ू, आलूबुखारा, खुबानी और सेब के अग्रणी उत्पादक रहे उत्तराखंड में पिछले सात वर्षों में प्रमुख फलों की पैदावार में काफी गिरावट देखी गई है।

इसमें कहा गया कि 2016 और 2023 के बीच उत्तराखंड में फलों की खेती का क्षेत्र 54 प्रतिशत कम हो गया और कुल फलों की पैदावार 44 प्रतिशत गिर गई।

उष्णकटिबंधीय फलों की तुलना में शीतोष्ण फलों के लिए गिरावट विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

अध्ययन में कहा गया कि फलों की फसलें और विशेष रूप से बारहमासी अपने लंबे विकास चक्र एवं विशिष्ट जलवायु संकेतों पर निर्भरता के कारण जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।

इसमें कहा गया कि सर्दियों में अधिक तापमान, बारिश के पैटर्न में बदलाव और चरम मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति ने फूल आने, फल लगने और इनके पकने की प्रक्रिया को बाधित कर दिया है जिससे पैदावार में गिरावट आई है।

अध्ययन के अनुसार, शीतोष्ण फलों की किस्मों में गिरावट सबसे अधिक स्पष्ट है जबकि आम और अमरूद जैसे उष्णकटिबंधीय फलों के मामले में मिश्रित स्थिति है।

इसमें कहा गया कि हाल के वर्षों में सेब और आड़ू जैसे समशीतोष्ण फलों की किस्मों की पैदावार में गिरावट के चलते पर्वतीय राज्य में किसान अनुकूलन प्रवृत्ति के हिस्से के रूप में अमरूद और ड्रैगन फल सहित उष्णकटिबंधीय फसलों को तेजी से अपना रहे हैं।

इस अनुकूलन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना और क्षेत्र में फलों की खेती की स्थिरता सुनिश्चित करना है।

अध्ययन में कहा गया कि बदलती जलवायु परिस्थितियों की चुनौतियां उत्पादन से कहीं आगे तक हैं, जिससे आपूर्ति शृंखला, विपणन क्षमता और भंडारण प्रभावित होता है और किसानों को मिलने वाले लाभ पर असर पड़ता है।

बालियान ने कहा, ‘‘निष्कर्ष जलवायु प्रतिकूल परिस्थितियों में उत्तराखंड की फलों की खेती को बनाए रखने के लिए लचीली कृषि तकनीकों में निरंतर अनुसंधान और निवेश के महत्व को रेखांकित करते हैं।’’

भाषा नेत्रपाल पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)