ऋषिकेश, 8 अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क का नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय पार्क किए जाने की सुगबुगाहट से चिंतित, वन्यजीव अभयारण्य पर आधारित पर्यटन व्यवसायियों का मानना है कि पार्क के नाम में परिवर्तन इस क्षेत्र से जुडे़ लोगों के लिए ‘आर्थिक सुनामी’ ला सकता है।
व्यवसायियों का कहना है कि पर्यटन उद्योग जगत में कॉर्बेट पार्क इतना विश्वविख्यात और सुस्थापित नाम है कि इसमें किसी भी तरह का बदलाव व्यापक रूप से अपूरणीय क्षति का कारण बन सकता है।
नैनीताल जिले के रामनगर में ‘कॉर्बेट होटल्स एन्ड रिसॉर्ट वेलयर एसोसिएशन’ के अध्यक्ष हरि सिंह मान ने कार्बेट राष्ट्रीय पार्क का नाम बदलने से पहले सरकार से इस पर अच्छी तरह सोच विचार करने का आग्रह किया है।
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मान ने कहा, ‘‘नाम बदलने से कॉर्बेट क्षेत्र से जुड़े हितधारकों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। आज पर्यटन अकेला आत्मनिर्भर उद्योग है। इस आत्मनिर्भर उद्योग के किसी भी बड़े सुस्थापित ‘आईकॉन’ के नाम में छेड़छाड़ से अर्थतन्त्र को भयंकर हानि होगी।’’
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मान ने कहा कि 1936 में इस पार्क का नाम हैली राष्ट्रीय पार्क था और 1947 में इसे रामगंगा राष्ट्रीय पार्क कर दिया गया। वर्ष 1956 में प्रसिद्ध वन्यजीव प्रेमी जिम कॉर्बेट के निधन के बाद इसे कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क के नाम से जाना गया। उन्होंने कहा कि अब लगभग सात दशकों से कॉर्बेट में पर्यटन इतना विशाल आकर ले चुका है कि वर्तमान में इसका नाम बदलना यहां ‘आर्थिक सुनामी’ का कारण बन सकता है।
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