नई दिल्ली : भारत में अब कोई भी स्कूल अपने विद्यार्थियों को मेहंदी लगाकर आने, कलाई पर कलावा अथवा राखी बांध कराने या माथे पर तिलक लगाकर आने से रोक नहीं सकता। (Tilak and Mehndi allowed in school) राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने दिनांक 30 अगस्त 2023 को इस बारे में निर्देश जारी किए हैं।
पांचजन्य के अनुसार, एनसीपीसीआर द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में, आयोग द्वारा विभिन्न समाचार रिपोर्टों के माध्यम से यह देखा गया है कि त्योहारों या उत्सव के दौरान बच्चों का स्कूल के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों द्वारा उत्पीड़न किया जाता है या फिर उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। यह देखा गया है कि स्कूल रक्षाबंधन के त्योहार के दौरान बच्चों को राखी या तिलक या मेहंदी लगाने की अनुमति नहीं देते हैं और उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रताड़ित किया जाता है।
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गौरतलब है कि आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 के तहत स्कूलों में शारीरिक दंड निषिद्ध है। इसलिए, संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध है कि स्कूल ऐसा कोई कार्य न करें जिससे बच्चों को शारीरिक दंड या भेदभाव का सामना करना पड़े।
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