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श्रीनगर, दो नवंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और अनंतनाग जिलों में शनिवार को सुरक्षा बलों ने दो अलग-अलग मुठभेड़ों में बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक शीर्ष पाकिस्तानी कमांडर और दो अन्य आतंकवादियों को ढेर कर दिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर की पहचान उस्मान के रूप में हुई है, जो कई वर्षों से घाटी में सक्रिय था और निरीक्षक मसरूर वानी की हत्या में भी शामिल था।
अक्टूबर, 2023 में ईदगाह मैदान में क्रिकेट खेलते समय वानी की नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
अधिकारी ने बताया कि उस्मान घाटी में काफी लंबे समय से सक्रिय था और कई हमलों में शामिल था, उसका मारा जाना जम्मू-कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा के लिए एक बड़ा झटका है।
उन्होंने कहा, ‘उस्मान यहां लश्कर-ए-तैयबा का सबसे वरिष्ठ पाकिस्तानी कमांडर था।’
श्रीनगर में हुई मुठभेड़ में चार सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गए।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद घनी आबादी वाले खानयार इलाके में घेराबंदी कर तलाश अभियान शुरू किया।
उन्होंने बताया कि इस दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोलियां चलाईं, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की और तलाश अभियान मुठभेड़ में बदल गया।
अभियान के दौरान जिस घर में आतंकवादी छिपे हुए थे वहां आग लग गई और आसमान में घना धुआं उठता देखा गया।
अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ में उस्मान मारा गया।
अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के दो जवान और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। अधिकारी ने बताया कि घायलों को सेना के 92 बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
श्रीनगर में पिछले दो साल में यह पहली मुठभेड़ थी। पिछली मुठभेड़ सितंबर 2022 में नौगाम में हुई थी, जिसमें अंसार गजवत-उल-हिंद के दो स्थानीय आतंकवादी मारे गए थे।
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उस्मान पाकिस्तान में रहने वाले टीआरएफ के कमांडर सज्जाद गुल का करीबी था।
माना जाता है कि द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) एलईटी का एक छद्म संगठन है।
शाम को अभियान समाप्त हो गया।
कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) वी. के. बिरदी ने अस्पताल में घायल पुलिसकर्मियों और सीआरपीएफ के जवानों से मुलाकात की और उन्हें पूरी मदद का आश्वासन दिया।
आईजीपी ने क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने में उनके महत्वपूर्ण योगदान की भी सराहना की।
एक अन्य आतंकवाद रोधी अभियान में, दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में सुरक्षा बलों ने दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया। शांगस-लारनू इलाके में हलकान गली के पास यह मुठभेड़ शुरू हुई।
अभियान के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सेना के 2 सेक्टर आरआर के कमांडर ब्रिगेडियर अनिरुद्ध चौहान ने कहा कि मारे गए आतंकवादी पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) संगठन के थे – जो जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का एक हिस्सा है।
चौहान ने कहा, “हमें अनंतनाग में पीएएफएफ समूह की गतिविधियों के बारे में जानकारी मिली थी। इस समूह ने आठ अक्टूबर को प्रादेशिक सेना के राइफलमैन हिलाल (अहमद भट) की हत्या की थी। हमें लारनू क्षेत्र में उनकी मौजूदगी के बारे में जानकारी मिली और एक अभियान शुरू किया गया।”
भट उन दो सैनिकों में से एक थे जिन्हें अनंतनाग के वन क्षेत्र में तलाशी अभियान के दौरान आतंकवादियों ने कथित तौर पर अगवा कर लिया था। इनमें से एक जवान भाग गया था जबकि भट का शव कोकरनाग के कजवान वन क्षेत्र में मिला।
सैन्य अधिकारी ने कहा, “दो आतंकवादी मारे गए। एम4 और एके राइफल, ग्रेनेड और तीन आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) समेत भारी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद बरामद किया गया। दोनों खूंखार आतंकवादी थे और प्रवासी लोगों पर हमले समेत कई हमलों में शामिल थे।”
दक्षिण कश्मीर रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) जाविद अहमद मट्टू ने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार, अनंतनाग में मारे गए दो आतंकवादियों की पहचान बिजबेहरा के निवासी जाहिद राशिद और कैमोह के रहने वाले अरबाज मीर के रूप में हुई है, जो 2018 से लापता था और आतंकवादी गतिविधियों शामिल हो गया था।
भाषा जोहेब देवेंद्र
देवेंद्र
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