Weather hindi news 2021 : नई दिल्ली। इस बार पूरे भारत में भीषण ठंड पड़ने की संभावना है। इसका मुख्य कारण ‘ला नीना इफेक्ट’ है। प्रशांत महासागरमें ‘ला नीना’ की वजह से बदलाव की शुरुआत होती है।
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चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय के एक मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक इसका असर दुनिया के कई हिस्सों में देखने को मिलता है जो असामान्य से लेकर मौसम में अत्यधिक बदलाव के रूप में दिखाई देता है। लिहाजा भारत में मानूसन की विदाई की बाद लोगों को बहुत जल्द काफी ठंड झेलनी पड़ सकती है।
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इस पूरे चक्र में प्रशांत महासागर के भूगोल की अहम भूमिका होती है जो अमेरिका के पूर्व से लेकर एशिया और आस्ट्रेलिया तक फैला है। ईएनएसओ प्रशांत महासागर की सतह पर पानी और हवा में असामान्य बदलाव लाता है। इसका असर पूरी दुनिया के वर्षा, तापमान और वायु संचार के स्वरूपों पर पड़ता है। जहां ‘ला नीना’ ईएनएसओ के ठंडे प्रभाव के रूप में देखा जाता है, वहीं ‘अल नीना’ गर्मी लाने वाले प्रभाव के रूप में देखा जाता है।
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ये होते हैं प्रभाव
‘ला नीना’ से प्रभावित होने वाले साल में हवा सर्दियों में ज्यादा तेज बहती है। इससे भूमध्य रेखा और उसके पास का पानी सामान्य से ठंडा हो जाता है। इससे महासागर का तापमान पूरी दुनिया के मौसम को प्रभावित कर बदल देता है। भारत में भारी बारिश वाला मानूसन, पेरू और इक्वाडोर में सूखे, आस्ट्रेलिया में भारी बाढ़ और हिंद व पश्चिम प्रशांत महासागर उच्च तापमान की वजह ‘ला नीना’ ही है।
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ठंड का प्रकोप अधिक रहेगा
जलवायु परिवर्तन में दिखाई देने वाले दुष्प्रभावों में से एक ‘ला नीना’ प्रभाव है। प्रशांत महासागर में ‘अल नीनो’ की वजह से बदलाव की शुरुआत होती है। इसका असर दुनिया के कई हिस्सों में देखने को मिलता है जो असामान्य से लेकर चरम मौसम के रूप में दिखाई देता है।
मौसम विभाग का कहना है कि इस बार कुछ सालों की तुलना में ठंड का प्रकोप ज्यादा होने वाला है। आमतौर पर 15 अक्तूबर तक पूरे भारत से मानसून लौट जाता है, लेकिन इस बार देर हो गई।