नईदिल्ली। कश्मीर में आतंक के सफाए के लिए भारतीय सेना ने अपनी रोबो आर्मी को उतारने की तैयारी कर ली है। यह रोबोट आतंकियों के गुप्त ठिकाने में घुसकर न केवल उनकी सही स्थिति बताएंगे बल्कि उसे तबाह करने में भी सक्षम होंगे। यह रोबो आर्मी इस माह के अंत तक कश्मीर में काम शुरू कर देगी। जो आतंक प्रभावित क्षेत्रों में सेना की आतंकरोधी यूनिट और सुरक्षाबलों के लिए सहायक सिद्ध होंगे।
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इतना ही नहीं दुश्मन की घुसपैठ को विफल बनाने और पाकिस्तानी सेना के हमलों को नाकाम बनाने के लिए यह रोबोट काफी कारगर सिद्ध होंगे। संबधित अधिकारियों ने बताया की सेना को बदलते परिवेश की आवश्यक्ताओं के अनुरूप अत्याधुनिक बनाने का प्रयास चल रहा है। इसी के तहत रक्षा मंत्रालय पहले चरण में 550 रोबोटिक्स सर्वेलांस यूनिट खरीद रहा है और इन्हें जल्द सेना को सौंपने की तैयारी है। संबधित अधिकारियों ने बताया कि यह रोबोट किसी भी आतंकरोधी अभियान के दौरान आतंकियों पर हमला भी करने में सहायक होंगे।
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सुरक्षा बलों के लिए आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में सबसे बड़ी चुनौती उनकी सही संख्या और उन के पास उपलब्ध हथियारों की पूरी जानकारी लेने की होती है। यह रोबोट ऑपरेशन के दौरान किसी भी मकान या अन्य आतंकी ठिकाने में आसानी से घुसकर वहां की गतिविधियों का पूरा ब्योरा लेने में सक्षम होगा। इसके अलावा वीडियोग्राफी के माध्यम से आतंकियों की सही लोकेशन पता करने में मदद करेगा। प्रत्येक यूनिट में एक लांचिंग सिंस्टम, एक ट्रांसमिशन सिस्टम और दिन-रात तस्वीरें लेने में समर्थ एचडी कैमरा भी होगा। यह किसी भी मकान या इमारत से करीब 200 मीटर की दूरी तक स्पष्ट वीडियो फुटेज भी भेज सकते हैं।
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यह रिमोट नियंत्रण रेखा पर निगरानी और फिर उसके आसपास ऐसी किसी जगह पर छानबीन कर सकते हैं जहां घुसपैठियों या पाकिस्तान के बैट दस्ते के छिपे होने की आशंका हो। ऐसे में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की हर चाल से निपटने में सेना की अग्रिम पंक्ति के लड़ाके साबित हो सकते हैं। रोबोटिक्स सर्वेलांस यूनिट को संचालित करने के लिए सैन्याधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना है। सेना की प्रत्येक बटालियन में सात से आठ अधिकारियों व जवानों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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सेना अधिकारियों ने बताया कि अगले चरण में सेना दुश्मन के घर में घुसकर मार करने में सक्षम रोबोटिक युद्धक वाहन (आरसीवी) खरीदने पर भी विचार कर रही है। रिमोट से संचालित होने वाले युद्धक वाहन भारतीय सेना की ताकत को और आधार देंगे। लक्ष्य है कि 2030 तक भारतीय सेना को दुनिया की सबसे घातक व समर्थ सेना बनाया जाए। यह रोबोट करीब 25 साल तक सेवा में उपलब्ध रहेंगे। सबसे पहले इन्हें जम्मू कश्मीर के आतंक प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। ये आतंकरोधी अभियानों में सुरक्षाबलों को होने वाले नुकसान से भी बचाएंगे। यह इतने चपल होंगे कि जवाबी कार्रवाई के लिए 360 डिग्री घूमकर भी निशाना बना सकते हैं।
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सेना का यह नया लड़ाका तमाम अवरोधकों को पार कर लक्ष्य को हर हाल में निशाना बनाने में सक्षम होगा। इसके अलावा किसी जगह विशेष की वीडियोग्राफी करके वहां के हालात के बारे में तुरंत अपडेट करने की दक्षता इसमें है। यह रोबोट सीढ़ी चढ़ने, बम धमाकों व गोलाबारी के दौरान लगने वाले झटकों को सहने में समर्थ है। ये लड़ाकू रोबोट पानी के नीचे 20 मीटर की गहराई तक भी काम कर सकते हैं। पानी के भीतर से ही यह ग्रेनेड को निर्धारित लक्ष्य पर दाग कर वहां से वापस आ जाएंगे।
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