नई दिल्ली। नए साल में लोगों महंगाई की एक और मार झेलनी पड़ेगी। केंद्र सरकार ने जनवरी 2022 से गारमेंट्स, कपड़ा और जूते जैसे तैयार माल पर जीएसटी को 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 18 नवंबर को इसकी घोषणा की।
पढ़ें- पता चल गया.. इस वजह से दारू पीने के बाद अंग्रेजी झाड़ने लगते हैं लोग, रिसर्च में खुलासा
जानकारी के अनुसार, जनवरी 2022 से कपड़े पर माल एवं सेवा कर दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी जाएगी। जबकि किसी भी मूल्य के गारमेंट्स पर जीएसटी दर को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है, जो कि पहले 1,000 रुपये तक की कीमत तक 5 प्रतिशत ही था।
पढ़ें- अब इन शहर से भी मिलेंगी इंटरनेशनल फ्लाइट्स, देखें रूट लिस्ट और किराया
टेक्सटाइल्स (बुने हुए कपड़े, सिंथेटिक यार्न, पाइल कपड़े, कंबल, टेंट, कालीन और टेपेस्ट्री जैसे सामान सहित) की भी जीएसटी दर 5% से बढ़ाकर 12% कर दी गई है, जबकि किसी भी मूल्य के फुटवियर पर अब 5% (1,000 रुपये प्रति जोड़ी तक) की बजाय 12% जीएसटी लगेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक जीएसटी काउंसिल ने इसे बढ़ाने की सिफारिश की।
पढ़ें- शाहरुख-मलाइका के छैय्यां-छैय्यां का लेटेस्ट वर्जन, 4 दोस्तों ने किया ऐसा डांस.. हो रही तारीफ
GST दरों को कम करने की मांग
एसोचैम ने मांग की है कि केंद्र को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर लागू जीएसटी की दरों को कम करना चाहिए और इस खंड में पैकेटबंद ब्रांडेड और गैर-ब्रांडेड खाद्य उत्पादों के बीच लागू दरों को युक्तिसंगत बनाना चाहिए। मौजूदा समय में ब्रांडेड और पैकेटबंद खाद्य उत्पाद जैसे आलू के चिप्स, अनाज, स्नैक फूड, नमकीन 12 प्रतिशत के स्लैब के अंतर्गत आते हैं।
जबकि गैर-ब्रांडेड नमकीन, चिप्स और भुजिया पर पांच प्रतिशत कर लगता है। उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, जिसका वर्तमान कुल उत्पादन लगभग 158।69 अरब डॉलर का है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है और कोविड-19 महामारी के बाद यह संघर्ष कर रहा है।
पढ़ें- 25 करोड़ में बिकता है दोमुंहा सांप.. 1 भी लगा हाथ तो बदल जाती है किस्मत
सूत्रों के अनुसार, क्लॉथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कपड़ों पर जीएसटी दरें बढ़ाने के सरकार के फैसले पर बड़ी नाराजगी व्यक्त की है। दरअसल इस लागत वृद्धि का कपड़ा उद्योग पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योकि यह इंडस्ट्री कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी और माल ढुलाई की लागत में वृद्धि के कारण पहले ही बाधाओं का सामना कर रहा है।