Yamuna river reached above the danger mark: नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को एक बार फिर यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर से डर सताने लगा है। तीन दिन से यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के आसपास खतरा मंडरा रहा था। पिछली बार यमुना में बाढ़ का पानी वजीराबाद, चंद्रावाल और ओखला वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में भर जाने की वजह से बंद करना पड़ा था और दिल्ली के कई इलाकों को पानी सप्लाई की दिक्कत झेलनी पड़ी थी। लेकिन एक बार फिर से बाढ़ के खतरे की दस्तक है और सबक लेते हुए दिल्ली सरकार ने सभी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की दीवारों को ऊंचा किया है।
ये हाल सिर्फ इन मेट्रो शहरों का ही नहीं है बल्कि देश के कई राज्यों की मेट्रो सिटी से लेकर महानगरों तक जल प्रलय से बच नहीं पाए। यह हाल उन शहरों का है जहां सरकारें इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर भारी भरकम बजट खर्च करने की बात करती हैं लेकिन तबाही का मंजर हर साल सामने आकर खड़ा हो जाता है और सारी तैयारियां इसको रोकने में नाकाफी साबित होती हैं।
दरअसल देश में बढ़ते शहरी क्षेत्र बाढ़ और उसके संकट को लेकर संवेदनशील होते जा रहे हैं। इसकी वजह से बिजली की लाइनें टूटना, दुर्घटनाएं, कारों का डूबना और पानी से भरे अंडरपास में मौतें आम बात हो गई हैं। विशेषज्ञों और शहरी योजनाकारों ने इस शहरी बाढ़ का कारण अनियंत्रित विकास और बदलते मौसम को प्रमुख कारण माना है।
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Yamuna river reached above the danger mark: बता दें कि पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे शहर के निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है। ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों, खास तौर पर हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश की वजह से चार से पांच दिनों में जलस्तर में उतार-चढ़ाव होता रहा है।