नियमों में लोकसभा की गुप्त बैठक का प्रावधान है; लेकिन इसका कभी उपयोग नहीं किया गया |

नियमों में लोकसभा की गुप्त बैठक का प्रावधान है; लेकिन इसका कभी उपयोग नहीं किया गया

नियमों में लोकसभा की गुप्त बैठक का प्रावधान है; लेकिन इसका कभी उपयोग नहीं किया गया

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Modified Date: March 23, 2025 / 05:13 PM IST
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Published Date: March 23, 2025 5:13 pm IST

नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) संसदीय नियम सरकार को संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए लोकसभा की ‘‘गुप्त बैठक’’ बुलाने की अनुमति देते हैं, लेकिन इस प्रावधान का अब तक उपयोग नहीं किया गया है।

इस मामले पर एक संवैधानिक विशेषज्ञ का कहना था कि 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सदन की गुप्त बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इसके लिए सहमत नहीं हुए थे।

‘लोकसभा में प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम’ के अध्याय 25 में सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठक आयोजित करने का प्रावधान है।

नियम 248, उपखण्ड एक के अनुसार, सदन के नेता के अनुरोध पर अध्यक्ष सदन की गुप्त बैठक के लिए एक दिन या उसका एक भाग निश्चित करेंगे।

उपधारा 2 में कहा गया है कि जब सदन गुप्त रूप से बैठेगा तो किसी भी अजनबी को चैंबर, लॉबी या गैलरी में उपस्थित होने की अनुमति नहीं होगी। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें ऐसी बैठकों के दौरान अनुमति दी जाएगी।

अध्याय का एक अन्य नियम कहता है कि अध्यक्ष यह निर्देश दे सकता है कि गुप्त बैठक की कार्यवाही की रिपोर्ट उस तरीके से जारी की जाए, जैसा कि अध्यक्ष उचित समझें। किन्तु कोई अन्य उपस्थित व्यक्ति किसी गुप्त बैठक की कार्यवाही या निर्णयों का, चाहे वह आंशिक हो या पूर्ण, नोट या रिकॉर्ड नहीं रखेगा, या ऐसी कार्यवाही की कोई रिपोर्ट जारी नहीं करेगा, या उसका वर्णन करने का अभिप्राय: नहीं रखेगा।

जब यह विचार किया जाए कि किसी गुप्त बैठक की कार्यवाही के संबंध में गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता समाप्त हो गई है तो अध्यक्ष की सहमति के अधीन, सदन का नेता या कोई अधिकृत सदस्य प्रस्ताव पेश कर सकता है कि ऐसी बैठक की कार्यवाही को अब गुप्त नहीं माना जाए।

यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो महासचिव गुप्त बैठक की कार्यवाही की रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे यथाशीघ्र प्रकाशित करेंगे।

नियमों में चेतावनी दी गई है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी तरीके से गुप्त कार्यवाही या बैठक की कार्यवाही या निर्णयों का खुलासा करना ‘सदन के विशेषाधिकार का घोर उल्लंघन’ माना जाएगा।

संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पी डी टी आचारी ने कहा कि सदन की गुप्त बैठक आयोजित करने का ‘‘कोई अवसर’’ नहीं आया है।

उन्होंने पुराने लोगों से बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि 1962 में चीन-भारत संघर्ष के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए गुप्त बैठक का प्रस्ताव रखा था, लेकिन नेहरू इससे सहमत नहीं हुए थे और कहा था कि जनता को पता होना चाहिए।

भाषा नेत्रपाल नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)