बेंगलुरु, दो नवम्बर (भाषा) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (आईसीएसई) बोर्ड के विद्यालयों में कन्नड़ को अनिवार्य विषय घोषित किये जाने के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले आठ विद्यार्थियों के माता-पिताओं ने खंडपीठ के समक्ष अपने-अपने बच्चों और संबंधित विद्यालयों का ब्योरा सौंपा।
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले तथा न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को बहस के दौरान इस मुद्दे पर टिप्पणी करते समय सावधानी बरतने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘कुछ वैध बिंदु हैं कि जो कोई क्षेत्रीय और प्रदेश की भाषा में शिक्षा लेता है उसे अक्षम नहीं माना जाना चाहिए। वह भी बहुत सफल हो सकता है। कम से कम अपने लिए तो मैं कह ही सकता हूं। मैंने क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई की, यह मेरे लिए कभी बाधा नहीं रही।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘ये मुद्दे हैं; हमें इसके कानूनी पहलुओं पर विचार करना होगा। साथ ही, जो लोग उच्च पदों पर बैठे हैं, उन्हें कुछ बाधाएं दिखानी चाहिए।’
कुल 20 अभिभावकों ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था कि कन्नड़ भाषा शिक्षण अधिनियम, 2015, कन्नड़ भाषा शिक्षण नियमावली, 2017 और कर्नाटक शैक्षिक संस्थान (अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना और नियंत्रण) नियमावली, 2022 विरोधाभासी हैं और कन्नड़ को सीबीएसई और आईसीएसई विद्यालयों में अनिवार्य विषय के रूप में लागू किया जाना गैर-कानूनी है।
अदालत ने इनमें से आठ याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि याचिकाकर्ता शिक्षक थे, जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी थी और वे उसी मुद्दे पर जनहित याचिका का हिस्सा नहीं बन सकते थे।
इस साल 13 सितंबर के एक आदेश में अदालत ने आदेश दिया था, ‘‘शेष याचिकाकर्ताओं को अपने बच्चों का विवरण और उन विद्यालयों का विवरण प्रदान करना होगा जिनमें वे पढ़ रहे हैं। सुनवाई की अगली तारीख तक विवरण अदालत को प्रस्तुत किया जाएगा।’’
इनमें से चार को छोड़कर बाकी याचिकाकर्ताओं का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में प्रदान की गई थी, क्योंकि “ऐसे कुछ उदाहरण हैं जहां बच्चों को अपने स्कूलों में कुछ उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।
अदालत ने सीलबंद लिफाफे में विवरण स्वीकार कर लिया और सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दी, जबकि शेष चार याचिकाकर्ताओं को अपने बच्चों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया।
भाषा सुरेश माधव
माधव
Follow us on your favorite platform:
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)