नई दिल्ली। यूपी के बरेली में ईश्वर की सत्यता का ऐक उदाहरण पेश आया है और ये वाकया ‘जाको राखे साइयां मार सकय न कोय’ सच साबित हुआ है। गुरुवार को श्मशान में जब एक परिवार अपनी नवजात बेटी की मौत के बाद उसे दफनाने पहुंचा तो जमीन की खुदाई के दौरान मटके में एक बच्ची मिली थी। जानकारी के मुताबिक, सीबीगंज इलाके के हितेश कुमार की नवजात बेटी की मौत हो गई थी। उसे दफनाने के लिए वह श्मशान गए तो वहां पर जमीन खोदते वक्त उन्हें एक बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी।
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आवाज आ रही जगह पर जब खुदाई शुरू की तो वहां घड़े में बच्ची बंद मिली। उसे निकालकर तुरंत सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस बारे में जब बिथरी के विधायक राजेश मिश्रा को पता चला तो वह तुरंत जिला अस्पताल पहुंचे और डॉक्टरों से उसकी हालत के बारे में पूछा। डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है हालांकि अभी हालत नाजुक बनी हुई है। हर कोई इस बात से हैरान है कि 48 घंटे तक जमीन के तीन फीट नीचे दबी बच्ची आखिर जिंदा कैसे बच गई? डॉक्टर भी बच्ची की जीवित रहने की क्षमता से आश्चर्यचकित हैं।
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इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया, ‘बच्ची 48 घंटे से भी ज्यादा समय तक जिंदा बनी रही जिसकी वजह से उसके शरीर का ब्राउन फैट भी जल गया है।’ उन्होंने आगे बताया, ‘ब्राउन फैट या ब्राउन एडिपोज टिश्यु शरीर में फैटी ऐसिड और ग्लूकोज को जलाकर शिशु को अधिक ठंड की स्थिति में भी जीवित रहने में मदद करता है। डॉ. खन्ना ने बताया, ‘जमीन में दबी मिली बच्ची प्रीमैच्योर बेबी है जिसका गर्भनाल पहले ही गिर चुकी है। उसका प्लेटलेट काउंट नॉर्मल रेंज 1.5 लाख से गिरकर मात्र 10 हजार रह गया है। फिर भी उसके जीवित रहने के संकेत दिखते हैं।’
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उन्होंने कहा, ‘हम बच्ची का नॉर्मल बॉडी टेंपरेचर मेनटेन करने की कोशिश कर रहे हैं जो कि फैट की अनुपस्थिति के चलते काफी गिर गया है। डॉक्टर ने आगे बताया कि वह ट्रीटमेंट पर रेस्पॉन्स कर रही है और इंप्रूवमेंट के साइन भी दिख रहे हैं। अब हम उसे ट्यूब के जरिए खाना पहुंचा जा रहे हैं और उसकी बॉडी प्रीमैच्योर बेबी फॉर्म्युला अपना रही है। हालांकि जब तक कि उसके खून से इंफेक्शन दूर नहीं हो जाता, उसे ऐंटीबयॉटिक्स और इंटेंसिव केयर उसे दिया जाता रहेगा।’
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बच्ची को बरेली जिला अस्पताल में नाजुक हालत में भर्ती कराया गया। बीजेपी विधायक राजेश मिश्रा को इसकी जानकारी मिलने पर उन्होंने बच्ची के इलाज का खर्चा उठाने में मदद का ऑफर दिया। सीएमएस और चाइल्ड वेल्फेयर कमिटी के सदस्यों द्वारा अनुमति मिलने के बाद ही बच्ची को प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया।
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