President Died: मॉस्को। तत्कालीन सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव का निधन हो गया है। उन्होंने लंबी बीमारी के बाद 91 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा है। रूसी न्यूज एजेंसी ने इसकी जानकारी दी। स्पुतनिक न्यूज ने अस्पताल के हवाले से बताया कि गोर्बाचेव को कुछ गंभीर बीमारियां थीं जिसका वो लंबे समय से इलाज करवा रहे थे। लेकिन 30-31 अगस्त की दरम्यानी रात उन्होंने अंतिम सांस ली।
न्यूज एजेंसी ने मॉस्को के सेंट्रल क्लीनिकल हॉस्पिटल के हवाले से कहा, ‘मिखाइल सेर्गीविच गोर्बाचेव लंबे वक्त से गंभीर बीमारियों से जूझते हुए आज शाम दुनिया से चल बसे।’ वह एक युवा और ओजस्वी सोवियत नेता थे, जो नागरिकों को स्वतंत्रता देकर लोकतांत्रिक सिद्धांतों की तर्ज पर कम्युनिस्ट शासन में सुधार करना चाहते थे।
President Died: बता दें कि गोर्बाचेव का जन्म दो मार्च 1931 को एक गरीब परिवार में हुआ था। वह स्टालिन के राज में पले-बढ़े और बड़े हुए। उन्होंने कानून की पढ़ाई की थी। वह सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति (1990-91) थे। इससे पहले वह 1985 से 1991 तक सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव रहे थे।
इसके अलावा वह कई बड़े पदों पर रहे।1988 से 1989 तक वह सुप्रीम सोवियत के प्रेसिडियम के अध्यक्ष रहे। 1988 से 1991 तक वह स्टेट कंट्री प्रमुख रहे। 1989 से 1990 तक उन्होंने सुप्रीम सोवियत के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
1990 में मिला था नोबेल शांति पुरस्कार
उन्होंने सरकारी तंत्र पर पार्टी के नियंत्रण को कम करने के लिए आमूल-चूल सुधारों की शुरुआत की थी। विशेष रूप से, उनके शासन के दौरान हजारों राजनीतिक कैदियों और उनके असंतुष्टों को रिहा कर दिया गया था। उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण समझौते की सफलता के लिए जाना जाता है।
President Died: राष्ट्रपति पद से हटने के बाद गोर्बाचेव को दुनियाभर में कई अवार्ड्स और सम्मान मिले। उन्हें 1990 में नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला। शीत युद्ध को समाप्त करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी, इसलिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
सोवियत संघ टूटने के बाद भी लड़ा था चुनाव
सोवियत संघ टूटने के बाद गोर्बाचेव को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि उन्होंने कई बार कहा कि वो बिल्कुल नहीं चाहते थे कि सोवियत संघ का विघटन हो।सोवियत संघ टूटने के बाद गोर्बाचेव ने रूस में फिर चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था। राष्ट्रपति पद के चुनाव में वह सातवें पायदान पर रहे। बाद में वह पुतिन के जबरदस्त आलोचक बन गए।
दिल्ली: रिंग रोड पर तेज रफ्तार ऑडी ने एक कार…
28 mins ago