नेताजी को ब्रिटिश अधिकारी द्वारा दी गई चाय का कप और प्लेट आज भी सुरक्षित रखे हैं नोआपाड़ा थाने में |

नेताजी को ब्रिटिश अधिकारी द्वारा दी गई चाय का कप और प्लेट आज भी सुरक्षित रखे हैं नोआपाड़ा थाने में

नेताजी को ब्रिटिश अधिकारी द्वारा दी गई चाय का कप और प्लेट आज भी सुरक्षित रखे हैं नोआपाड़ा थाने में

Edited By :  
Modified Date: January 23, 2025 / 06:25 PM IST
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Published Date: January 23, 2025 6:25 pm IST

(सुदीप्तो चौधरी)

जगद्दल (पश्चिम बंगाल), 23 जनवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में श्यामनगर रेलवे स्टेशन से महज डेढ़ किलोमीटर दूरी पर नोआपाड़ा थाना है जिसकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से ऐतिहासिक कड़ियां जुड़ी हैं।

इस थाने में पुलिसकर्मी हर साल 23 जनवरी को न केवल नेताजी की जयंती मनाते हैं, बल्कि स्टेशन पर उनके संक्षिप्त प्रवास को भी याद किया जाता है, जब उन्हें 1931 में अंग्रेजों ने हिरासत में लिया था।

लगभग 93 साल पहले, 11 अक्टूबर 1931 को शाम पांच बजे के आसपास, नेताजी को ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जब वहजगद्दल के गोलघर में बंगाल जूट मिल मजदूर संगठन की बैठक को संबोधित करने जा रहे थे ।

उन्हें नोआपाड़ा पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां उन्हें कुछ घंटों तक हिरासत में रखा गया। हिरासत के दौरान, बोस को चाय की पेशकश की गई, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह एक ब्रिटिश अधिकारी द्वारा दी गई थी।

उस अवसर पर इस्तेमाल किए गए सिरेमिक कप और तश्तरी को पुलिस स्टेशन द्वारा महान स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि के रूप में सावधानीपूर्वक संरक्षित किया गया है।

सम्मान के प्रतीक के रूप में, पुलिस स्टेशन ने अपने परिसर के अंदर एक छोटा सा स्मारक स्थापित किया। इसमें संरक्षित कप और तश्तरी के बगल में नेताजी की एक तस्वीर रखी गई है। एक कमरे को पुस्तकालय का स्वरूप प्रदान किया गया है जिसमें नेताजी के जीवन और विरासत पर किताबें रखी गई हैं।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि हमें इस पुलिस स्टेशन में काम करने का मौका मिला, जहां हमारे प्रिय नेताजी ने कदम रखा था। वे हमारे लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं। यहां उनके आगमन के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं और हमारा मानना ​​है कि इतिहास के इस अध्याय के बारे में सभी को जानना चाहिए।’’

ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, बोस को बैठक के लिए जाते समय ब्रिटिश पुलिस ने रोक लिया था और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि उन्हें डर था कि नेताजी के भाषण से अशांति भड़क सकती है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘नेताजी यहां कुछ घंटे तक रुके और तत्कालीन प्रभारी अधिकारी ने उन्हें चाय की पेशकश की, जिसे उन्होंने विनम्रता से अस्वीकार कर दिया।’’

नेताजी को 12 अक्टूबर, 1931 को बैरकपुर के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप के बाद आधी रात के आसपास रिहा किया गया था।

हालांकि, नेताजी के जीवन पर शोध करने वाले जयंत चौधरी के अनुसार, बोस को यह शर्त दी गई थी कि वह तीन महीने तक नोआपाड़ा में प्रवेश नहीं कर सकते।

नोआपाड़ा पुलिस स्टेशन बैरकपुर पुलिस आयुक्तालय के अंतर्गत आता है। हर साल, नेताजी को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके जन्मदिन पर स्मारक कक्ष को जनता के लिए खोला जाता है और बैरकपुर पुलिस आयुक्तालय के वरिष्ठ अधिकारी इस स्मारक कार्यक्रम में भाग लेते हैं।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इस साल भी, हमने नेताजी के जन्मदिन का जश्न मनाने की व्यवस्था की है, ताकि जनता कमरे में जा सके, इतिहास के इस हिस्से को देख सके और उन्हें सम्मान दे सके।’’

थाने के बाहर, नेताजी की एक मूर्ति खड़ी है, जो उनकी विरासत का प्रतीक है।

भाषा वैभव रंजन

रंजन

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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