पणजी, 14 मार्च (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने शहर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम, 1974 की एक धारा को खारिज कर दिया है, जो जोन के भीतर जोन बनाने की अनुमति देती थी। अदालत ने कहा कि उसे निजी भूमि मालिकों के हितों की चिंता है।
तीन नागरिक संगठनों ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी जिसमें कहा गया था कि अधिनियम की धारा 17 (2) क्षेत्रीय योजना को “विकृत” कर रही है।
मार्च 2023 में अधिसूचित, इस धारा का उद्देश्य अधिकारियों को अनजाने में हुई त्रुटियों को ठीक करने या असंगत तरीके से बन गए जोन को सुधारने की अनुमति देना था।
क्षेत्रीय योजना गोवा के शहरी एवं ग्राम नियोजन विभाग द्वारा राज्य में बुनियादी ढांचे, जोनिंग और पर्यावरण संरक्षण का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार एक दीर्घकालिक भूमि-उपयोग विकास खाका है।
न्यायमूर्ति निवेदिता पी मेहता और न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को धारा 17 (2) को खारिज करते हुए कहा कि यह ‘‘पर्यावरणीय मुद्दों के साथ सतत विकास के बीच संतुलन बनाए रखते हुए जनहित में विकास को आगे बढ़ाने’’ के लिए नहीं है, बल्कि निजी भूमि मालिकों के हितों से संबंधित है।
भाषा वैभव पवनेश
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