नयी दिल्ली, नौ जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी में मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के आम आदमी पार्टी (आप) के हालिया चुनावी वादे के खिलाफ दायर याचिका की पोषणीयता (सुनवाई योग्य) पर याचिकाकर्ता से सवाल किया।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इस मुद्दे पर चुनाव याचिका कैसे सुनवाई योग्य हो सकती है।
अदालत ने कहा, “आप जाइए और जनहित याचिका दायर कीजिए।’
याचिकाकर्ता ने कहा कि ‘आप’ झूठी घोषणा करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है, जबकि दिल्ली सरकार पहले ही ऐसी किसी योजना से इनकार कर चुकी है।
अदालत ने याचिकाकर्ता विजय कुमार से याचिका की पोषणीयता पर सवालों के जवाब देने को कहा और सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
याचिकाकर्ता के वकील शिव शंकर पाराशर ने कहा कि कुमार ने दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा उन महिलाओं को 2,100 रुपये मासिक भत्ता देने की कथित झूठी घोषणा के खिलाफ भारत के निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी जिनके पास दिल्ली का मतदाता पहचान पत्र है।
उन्होंने दावा किया कि कोई कार्रवाई नहीं की गई । उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि वह आयोग को निर्देश दे कि वह तीन जनवरी को दर्ज उनकी शिकायत का शीघ्र निपटारा करे।
याचिका में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह निर्देश देने की भी मांग की गई कि वह ‘आप’ कार्यकर्ताओं द्वारा योजना से संबंधित फॉर्म भरने पर रोक लगाएं।
वकील ने कहा कि यदि शिकायत पर निर्णय नहीं लिया गया तो दिल्ली की महिला मतदाता प्रभावित होंगी।
‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने 12 दिसंबर 2024 को दिल्ली सरकार की योजना शुरू करने की घोषणा की और पार्टी के सत्ता में लौटने पर मासिक सहायता 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये करने का वादा किया।
हालांकि, 25 दिसंबर को दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर खुद को इस योजना से अलग कर लिया।
भाषा नोमान मनीषा
मनीषा
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