नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और असम में परिसीमन प्रक्रिया में हो रही देरी पर चिंता जताई। यह देरी तब हो रही है जब 2020 के राष्ट्रपति आदेश से इस प्रक्रिया को स्थगित करने के आदेश को रद्द कर दिया गया था।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, “एक बार राष्ट्रपति अधिसूचना रद्द कर दे”, तो परिसीमन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए यह पर्याप्त है। “सरकार इसमें कहां आती है?”
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज से मामले में भविष्य की कार्रवाई के बारे में निर्देश लेने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “इस पर निर्देश लीजिए, यह कार्य किया जाना है…यह एक वैधानिक आदेश है और इसलिए आपको इसका अनुपालन करना होगा।”
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के लिए विचार-विमर्श चल रहा है, लेकिन मणिपुर में जारी हिंसा के कारण वहां स्थिति प्रतिकूल हो गई है।
इसके बाद ‘पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और नगालैंड राज्य के लिए परिसीमन मांग समिति’ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई जनवरी 2025 तक के लिए स्थगित कर दी गई।
भाषा प्रशांत अविनाश धीरज
धीरज