नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से अधिवक्ता संरक्षण विधेयक पर वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है जिसका उद्देश्य कानूनी पेशेवरों की सुरक्षा और उनके लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना है।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और सुनवाई की तारीख 16 दिसंबर, 2024 निर्धारित की जो पहले पांच फरवरी, 2025 थी।
उच्च न्यायालय अधिवक्ता दीपा जोसेफ और अल्फा फिरिस दयाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें अप्रैल में एक वकील की कथित हत्या के मद्देनजर वकीलों की सुरक्षा के लिए एक कानून बनाने का अनुरोध किया गया है।
दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि वह विधेयक में अब तक की प्रगति के साथ एक नवीनतम स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई पहले करना निर्धारित किया, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता रॉबिन राजू ने 21 अक्टूबर को वकीलों के एक समूह पर हुए हमले के संबंध में किया था, जिसमें महरौली पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
याचिका में कहा गया है, ‘‘वकीलों के खिलाफ हिंसा की हालिया घटनाएं दिल्ली में अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम को लागू करने की सख्त जरूरत को दर्शाती हैं।’’
इसमें मामले में अदालत से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया, क्योंकि दिल्ली सरकार के विधि विभाग द्वारा तैयार अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम का अंतिम मसौदा विधेयक 13 सितंबर से दिल्ली के विधि मंत्री के विचार और अनुमोदन के लिए लंबित है।
अधिवक्ता वीरेंद्र कुमार नरवाल (53) को एक अप्रैल को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के द्वारका इलाके में मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने गोली मार दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि शहर में अदालत परिसर के अंदर हिंसा की घटनाओं में ‘‘खतरनाक वृद्धि’’ हुई है और कानूनी बिरादरी को सुरक्षा की गारंटी देने और भय को दूर करने के लिए कानून बनाने के वास्ते निर्णय लेने का यह ‘‘सही समय’’ है।
भाषा अमित माधव
माधव
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