कोलकाता, 23 दिसंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पत्नी की मित्र और उसके परिवार की लगातार मौजूदगी तथा पत्नी की ओर से वैवाहिक क्रूरता का झूठा मामला दर्ज कराने के आधार पर एक व्यक्ति के पक्ष में तलाक का फैसला सुनाया।
न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पति के पक्ष में तलाक देने से इनकार करने संबंधी निचली अदालत के फैसले को विकृत और त्रुटिपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया।
उच्च न्यायालय ने 19 दिसंबर को दिए गए अपने फैसले में कहा कि अपीलकर्ता (पति) ने प्रतिवादी (पत्नी) के खिलाफ मानसिक क्रूरता का पर्याप्त मजबूत मामला दर्ज कराया है जिससे इन आधार पर तलाक देने को उचित ठहराया जा सकता है।
पीठ में न्यायमूर्ति उदय कुमार भी शामिल थे। पीठ ने क्रूरता के आधार पर पति के पक्ष में तलाक का आदेश दे दिया, जिसके बाद दोनों का विवाह समाप्त हो गया।
न्यायालय ने कहा कि पूर्वी मिदनापुर जिले के कोलाघाट में पति के सरकारी आवास में उसकी आपत्ति और असहजता के बावजूद पत्नी की महिला मित्र और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की उपस्थिति रिकॉर्ड से प्रमाणित होती है।
पीठ ने कहा, ‘‘ प्रतिवादी की मित्र और परिवार को पति की इच्छा के विरुद्ध उसके क्वार्टर में लगातार लंबे समय तक रखना, कभी-कभी तो स्वयं प्रतिवादी-पत्नी के वहां न होने को भी निश्चित रूप से क्रूरता माना जा सकता है…।’’
न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में पत्नी ने एकतरफा निर्णय लेकर काफी समय तक पति के साथ वैवाहिक जीवन जीने से इंकार किया तथा निस्संदेह लंबे समय तक अलगाव रहा, जो स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि वैवाहिक बंधन अब सुधार से परे हो चुका है।
पति के वकील ने दलील दी कि पत्नी अधिकतर समय अपनी महिला मित्र के साथ बिताती थी जो अपने आप में क्रूरता का कृत्य है। इस जोड़े की शादी 15 दिसंबर 2005 को हुई थी।
पति ने 25 सितंबर 2008 को तलाक का मुकदमा दायर किया था और उसी वर्ष 27 अक्टूबर को पत्नी ने पति और उसके परिवार के खिलाफ नवद्वीप पुलिस थाने में पंजीकृत डाक से शिकायत भेजी थी।
भाषा शोभना मनीषा
मनीषा
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