(मानस प्रतिम भुइयां)
नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) वैश्विक संघर्षों और भूराजनीतिक विखंडन से भरे इस साल में भारत ने अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया और करीब 4.22 लाख करोड़ रुपये की रक्षा खरीद को अंतिम रूप दिया।
इस साल भारत और चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में सीमा पर टकराव वाले स्थानों से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का काम पूरा कर लिया।
भारत और चीन ने 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास डेमचोक और देपसांग पर टकराव के अंतिम दो बिंदुओं से अपने-अपने बलों को वापस बुला लिया। गलवान घाटी में चार साल पहले दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई घातक झड़पों के बाद से भारत और चीन के संबंध तनावपूर्ण बने हुए थे। ऐसे में इस समझौते से दोनों देशों के संबंधों में जमी बर्फ पिघल गई।
इस बीच, लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा कर रही भारतीय सेना ने इस साल आक्रामक रुख बनाए रखा तथा वास्तविक सीमा के पास चीन की ओर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखने के लिए अपने समग्र निगरानी तंत्र को मजबूत किया।
इस वर्ष भारत ने अहम समुद्री क्षेत्र में अपनी सामरिक ताकत का विस्तार किया। भारतीय नौसेना ने लाल सागर में और उसके आसपास मालवाहक पोतों पर बड़ी संख्या में ड्रोन और मिसाइल हमले कर रहे हूती उग्रवादियों से निपटने के लिए 30 से अधिक पोत तैनात किए।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय नौसेना ने 25 से अधिक ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए चार अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य का लगभग 90 लाख मीट्रिक टन माल ले जा रहे 230 से अधिक वाणिज्यिक पोत को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाया।
रक्षा मंत्रालय ने वर्ष के अंत में समीक्षा में कहा कि भारतीय नौसेना की त्वरित कार्रवाई से 400 से अधिक लोगों की जान बच गई।
भारत ने प्रमुख जलमार्गों में अपनी सामरिक ताकत का लाभ उठाया तथा हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के चीन के लगातार प्रयासों की पृष्ठभूमि में महासागर पर अपने प्रभाव को मजबूती से स्थापित किया।
रक्षा मंत्रालय ने वर्ष के अंत में जारी रिपोर्ट में बताया कि रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) और रक्षा खरीद बोर्ड (डीपीबी) ने 2024 (नवंबर तक) में 4,22,129 करोड़ रुपये के 40 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) प्रदान की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 परिवहन विमानों का उत्पादन करने के लिए अक्टूबर में ‘टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स’ का उद्घाटन किया। वायुसेना को 21,935 करोड़ रुपये के पहले से तय सौदे के तहत 56 सी-295 परिवहन विमान मिल रहे हैं जिनमें 40 विमान भारत में बनाए जाएंगे।
इसके अलावा स्वदेशी रूप से निर्मित अरिहंत श्रेणी की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिघाट’ को 29 अगस्त को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। सरकार ने स्वदेशी रूप से डिजाइन की गई दो परमाणु हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण को भी मंजूरी दी है।
एक अन्य कदम के तहत भारत ने सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिए अमेरिकी कंपनी ‘जनरल एटॉमिक्स’ से लगभग चार अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए अक्टूबर में अमेरिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
भारत के स्वदेशी हल्के टैंक ने 4,200 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर विभिन्न दूरियों से सटीकता के साथ लगातार कई राउंड गोलाबारी करके एक ”बड़ी उपलब्धि” हासिल की है।
भारत ने नवंबर में के-4 नामक एक परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया जिसकी मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है। इसी महीने भारत ने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
भारत का रक्षा उत्पादन 2023-2024 में 1,26,887 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 16.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध विशेषज्ञ एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी अप्रैल में आर हरि कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद 26वें नौसेना प्रमुख बने।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जून में 30वें थलसेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला। इससे पहले जनरल मनोज पांडे इस पद पर सेवारत थे।
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने सितंबर में एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी की सेवानिवृत्ति पर भारतीय वायु सेना के प्रमुख का पदभार संभाला।
भाषा
सिम्मी नरेश
नरेश
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