कोच्चि, 12 जनवरी (भाषा) केरल के कोच्चि में एर्नाकुलम-अंगामाली आर्चडायोसिस के बिशप हाउस पर प्रदर्शन के दौरान एक पुलिस अधिकारी पर 11 जनवरी को हमला करने के आरोप में 20 पादरियों के खिलाफ रविवार को मामला दर्ज किया गया।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि एर्नाकुलम मध्य पुलिस ने पादरियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की प्रासंगिक धाराओं में मामला दर्ज किया है।
उन्होंने बताया कि आरोपों में गैर-कानूनी ढंग से एकत्र होना, दंगा करना तथा लोक सेवक को उसके कर्तव्य पालन से रोकने के लिए चोट पहुंचाना या गंभीर चोट पहुंचाना शामिल है।
यह प्राथमिकी मध्य पुलिस के उपनिरीक्षक अनूप सी. की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी, जो प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करते समय घायल हो गए थे।
इस बीच, विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर एर्नाकुलम-अंगामाली के आर्चीपार्की के लिए मेजर आर्कबिशप के विकर (प्रतिनिधि) के रूप में नियुक्त आर्कबिशप एम जोसेफ पाम्पलेनी ने रविवार को प्रदर्शनकारियों से संवाद के माध्यम से इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने का आग्रह किया।
एकीकृत “हॉली मास’ (पवित्र प्रार्थना) को लेकर विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए, पाम्पलेनी ने मीडिया से कहा कि पोप फ्रांसिस द्वारा मंजूर किए गए निर्णय को बदलना संभव नहीं है।
रविवार को भी बिशप हाउस के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
एर्नाकुलम के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) सी. जयकुमार ने कहा, ‘हम स्थिति को शांतिपूर्ण ढंग से संभालने का प्रयास कर रहे हैं।’
बिशप हाउस के बाहर शनिवार को कई घंटों तक तनाव की स्थिति बनी रही, क्योंकि पुलिस ने वहां से कई पादरियों को हटा दिया। ये पादरी एक अपोस्टोलिक प्रशासक द्वारा जारी कुछ दस्तावेजों को वापस लेने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर थे, जिसके बाद एकीकृत ‘मास’ (प्रार्थना) का विरोध कर रहे एक वर्ग ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
भाषा
नोमान सुरेश
सुरेश
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