प्रलोभन में न पड़ने की प्रवृत्ति न्यायाधीश के मानवीय मूल्यों को तय करती है: अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी |

प्रलोभन में न पड़ने की प्रवृत्ति न्यायाधीश के मानवीय मूल्यों को तय करती है: अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी

प्रलोभन में न पड़ने की प्रवृत्ति न्यायाधीश के मानवीय मूल्यों को तय करती है: अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी

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Modified Date: December 22, 2024 / 01:22 AM IST
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Published Date: December 22, 2024 1:22 am IST

नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने शनिवार को कहा कि किसी न्यायाधीश की प्रलोभन में न पड़ने की प्रवृत्ति यह तय करती है कि वह मानवीय मूल्यों के स्तर पर कितनी ऊंचाई तक पहुंच सकता है।

वेंकटरमणी ने यह टिप्पणी गौरी ग्रोवर की पुस्तक ‘द अनयलिंग जज: द लाइफ एंड लिगेसी ऑफ जस्टिस ए एन ग्रोवर’ के विमोचन के अवसर पर की।

उन्होंने यह भी कहा कि यह पहली बार है जब उन्हें उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश के बारे में बोलने के लिए बुलाया गया है, जो देश के संवैधानिक इतिहास का हिस्सा रहे हैं।

न्यायमूर्ति ग्रोवर उस 13 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ का हिस्सा थे जिसने 1973 के केशवानंद भारती मामले की सुनवाई की थी।

अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘अनडिनाइंग जज’ (अडिग न्यायाधीश) शब्द ने भी मुझे बहुत आकर्षित किया। इसके कई मायने और मूल्य हैं। हम एक न्यायाधीश के डर की बात करते हैं और फिर प्रलोभन के सामने न झुकने की बात करते हैं। मुझे लगता है जब ऐसा होता है तो आप मानवता के मूल्यों की पदानुक्रम में ऊंचा स्थान प्राप्त करते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘मैं शायद कई न्यायाधीशों की पुस्तक विमोचन में शामिल रहा हूं, जिनमें से अधिकांश वर्तमान न्यायाधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, लेकिन यह मेरा पहला अवसर है जब मुझे एक ऐसे न्यायाधीश के बारे में बात करने के लिए बुलाया गया है जो भारत के संवैधानिक इतिहास का एक बड़ा हिस्सा है।’

भाषा योगेश नोमान

नोमान

 

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