हैदराबाद, 31 जनवरी (भाषा) तेलंगाना उच्च न्यायालय ने फोन टैपिंग मामले में दो आरोपियों को इस आधार पर जमानत दे दी कि वे लंबे समय से जेल में हैं और मुकदमा शुरू होने में भी देरी होने की संभावना है।
इस मामले में पिछले साल मार्च में गिरफ्तार किए गए पूर्व पुलिस उपायुक्त पी. राधा किशन राव और निलंबित पुलिस अधिकारी भुजंग राव को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी गई।
सरकारी अभियोजक ने उच्च न्यायालय को एक सीलबंद लिफाफा सौंपा और कहा कि जांच के दौरान उन्हें एक आरोपी के निजी कंप्यूटर से न्यायाधीशों के बारे में कुछ जानकारी मिली।
अदालत ने जमानत की शर्तों के तहत आरोपियों को एक लाख रुपये का मुचलका और इतनी ही राशि की दो जमानतें तथा पासपोर्ट जमा कराने का आदेश दिया।
अदालत ने आरोपियों को जांच के उद्देश्य से आठ सप्ताह तक प्रत्येक सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे संबंधित थाना प्रभारी के समक्ष उपस्थित होने का भी निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि इसके बाद भी आवश्यकता पड़ने पर उन्हें जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना होगा।
हैदराबाद पुलिस ने पिछली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के दौरान विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से खुफिया जानकारी मिटाने और फोन टैपिंग के आरोप में एसआईबी के निलंबित उपाधीक्षक समेत चार पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया था।
तेलंगाना में विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) के पूर्व प्रमुख और एक अन्य आरोपी इस मामले में फरार हैं और उनके अमेरिका में होने का संदेह है।
पुलिस ने बताया कि निलंबित पुलिस उपाधीक्षक और उनकी टीम ने सैकड़ों लोगों के प्रोफाइल तैयार किए और कई अन्य लोगों के फोन कॉल ‘इंटरसेप्ट’ किए। मामले में शामिल आरोपियों ने कथित तौर पर कुछ राजनीतिक नेताओं, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्यों तथा अन्य लोगों के फोन निगरानी में रखे।
भाषा जोहेब प्रशांत
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