नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) भारत के राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मुफ्त उपचार के बावजूद, लगभग आधे मरीजों को आजीविका की हानि और अस्पताल में भर्ती होने के कारण भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।
‘ग्लोबल हेल्थ रिसर्च एंड पॉलिसी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि आमतौर पर, तपेदिक के उपचार और देखभाल पर एक व्यक्ति का कुल खर्च 386 अमेरिकी डॉलर आता है।
राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य 2025 तक भारत को तपेदिक मुक्त बनाना है।
डब्ल्यूएचओ के भारत स्थित कार्यालय के ‘टीबी सपोर्ट नेटवर्क’ और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान, तमिलनाडु के शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत दर्ज 1,400 से अधिक संक्रमित लोगों का साक्षात्कार लिया। इनका उपचार मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच किया गया था।
अध्ययन के लेखकों ने लिखा, ‘‘भारत में तपेदिक से पीड़ित व्यक्तियों को मुख्य रूप से आजीविका में कमी और अस्पताल में भर्ती होने के कारण आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। उनमें से लगभग आधे लोगों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से गरीब वर्ग के लोगों को।’’
प्रत्यक्ष लागत, ऐसा खर्च है जो ज्यादातर निदान से पहले या अस्पताल में भर्ती होने के दौरान होता है, जो कुल लागत का 34 प्रतिशत (लगभग 78 अमेरिकी डॉलर) पाया गया, जबकि अप्रत्यक्ष लागत आमतौर पर लगभग 280 अमेरिकी डॉलर पाई गई।
प्रत्यक्ष लागत की तुलना में आजीविका या उत्पादकता की हानि के कारण होने वाली अप्रत्यक्ष लागत, कुल लागत में अधिक योगदान देती पाई गई।
भाषा
शफीक मनीषा
मनीषा
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