Taj Mahal Controversy : नई दिल्ली। ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की याचिका पर आज सुनवाई होनी है। हाल ही में भाजपा कार्यकर्ता डॉ. रजनीश ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की याचिका दाखिल की है। यह याचिका ताजमहल के शिव मंदिर या तेजो महालय होने का दावा करती है। इस मामले में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई होगी।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
इसके पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और देश के जाने-माने संस्थानों के लिए भी यह तहखाना बहुत बार खुला गया। ताजमहल की मजबूती और ढांचे की बनावट को परखने के लिए समय-समय पर इस तहखाने को खोला गया है। 16 साल पहले ASI ने तहखाने का संरक्षण कराया था। नेशनल जियोग्राफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट और रुड़की विश्वविद्यालय ने वर्ष 1993 में ताजमहल के इन तहखानों का सर्वे कराया था। जिसमें यह बताया गया था कि तहखाने की दिवार तीन मीटर मोटी है। इसके साथ ही मुख्य गुंबद पर असली कब्रों के नीचे का हिस्सा कठोर है।
बता दें रुड़की विश्वविद्यालय ने ताजमहल सर्वे के लिए इलेक्ट्रिकल, मैग्नेटिक प्रोफाइलिंग तकनीक, शीयर वेब स्टडी और ग्रेविटी एंड जियो रडार तकनीक का उपयोग किया था। इतना ही नहीं महल पर भूकंप का प्रभाव नापने के लिए अर्थक्वेक इंजीनियरिंग विभाग ने 1993 में सर्वे कराया। यह सर्वे भविष्य में ताजमहल को भूकंप से नुकसान होने की स्थिति मापने के लिए किया गया था। इस दौरान महल के तहखानों को खोला गया था, जिसमें तहखानों की दिवारों की मजबूती के साथ-साथ गुंबद और मीनारों को जांचा और परखा गया था।
बता दें नेशनल जियोग्राफिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) ने ताजमहल और महताब बाग का एक साथ निरीक्षण किया था। NGRI ने इस दौरान मैग्नेटिक प्रोफाइलिंग तकनीक का उपयोग कर यह पता लगाया गया था कि ताजमहल और महताब बाग के जो हिस्से जानकारी में है, उनके अलावा नींव में कोई स्ट्रक्चर नहीं पाया गया। NGRI की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि ताजमहल और महताब बाग की नींव नदी किनारे 13 मीटर तक गहरी है। इसके अलावा रिफ्लेक्शन सीस्मिक जांच में ताजमहल की नींव में 90 मीटर तक सख्त चट्टानें पाई गईं।
AMU के प्रो. इरफ़ान हबीब ने कहा है कि ‘ताजमहल जैसी विश्व धरोहर को धार्मिक रंग देने की साजिश हो रही है। मैं नहीं चाहता कि तहखाने खोले जाएं। उसका कोई प्रयोजन तो हो। यह जिस मकसद से मांग की जा रही है, वह गलत है। कोई भी कहीं से आकर मांग करेगा और उस पर आदेश हों, यह गलत है।’
‘प्रो. सुगम आनंद, आंबेडकर विवि- ताजमहल के तहखानों के सर्वे में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। एक बार वीडियोग्राफी करा ली जाए तो विवाद समाप्त हो जाएंगे। पर्यटकों के लिए तहखाने खोलना आर्कियोलोजी के मुताबिक मुमकिन नहीं है।’
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