उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले से भारत में जलवायु संबंधी मुकदमों में वृद्धि हो सकती है : रिपोर्ट |

उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले से भारत में जलवायु संबंधी मुकदमों में वृद्धि हो सकती है : रिपोर्ट

उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले से भारत में जलवायु संबंधी मुकदमों में वृद्धि हो सकती है : रिपोर्ट

:   Modified Date:  June 27, 2024 / 04:35 PM IST, Published Date : June 27, 2024/4:35 pm IST

नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ अधिकार को एक विशिष्ट मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने के उच्चतम न्यायालय के एक ऐतिहासिक फैसले से भारत में जलवायु संबंधी मुकदमों में वृद्धि हो सकती है। यह बात बृहस्पतिवार को जारी एक वैश्विक रिपोर्ट में कही गई।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के ग्रांथम रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन क्लाइमेट चेंज एंड द एनवॉयरमेंट की रिपोर्ट में एम के रंजीत सिंह तथा अन्य बनाम भारत संघ के मामले का हवाला देते हुए कहा गया कि वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) में जलवायु संबंधी मुकदमे बढ़ रहे हैं तथा ये अधिक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक दक्षिण के देशों के 200 से अधिक जलवायु मुकदमे डेटाबेस में दर्ज किए गए हैं, जिसमें वैश्विक स्तर पर सभी मुकदमों के लगभग आठ प्रतिशत वाद शामिल हैं।

इसमें कहा गया, ‘हालांकि शोध कुछ वैश्विक दक्षिण देशों में जलवायु नीति प्रतिक्रियाओं में अदालतों को साधन के रूप में उपयोग करने की बढ़ती प्रवृत्ति का संकेत देता है, वहीं अन्य देशों में जलवायु मुकदमेबाजी से रणनीतिक तरीके से बचा जा सकता है।’

उदाहरण के लिए, इसमें कहा गया कि भारत में जलवायु संबंधी मुकदमों की ऐतिहासिक रूप से कम संख्या उत्सर्जन पर अत्यधिक संकीर्ण तरीके से ध्यान केंद्रित करने के एक सचेत निर्णय को दर्शाती है, क्योंकि इससे आजीविका, अधिकारों और पारिस्थितिकी चिंताओं से संबंधित व्यापक मुद्दों की अनदेखी हो सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि, पिछले दिनों आए भारत की शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक फैसले के बाद बदलाव हो सकता है और देश में जलवायु संबंधी मुकदमों में वृद्धि हो सकती है।

भाषा

नेत्रपाल वैभव

वैभव

 

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