Citizenship Amendment Act

Citizenship Amendment Act: नागरिकता कानून की धारा 6A को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बरकरार रखी संवैधानिक वैधता

Citizenship Amendment Act: नागरिकता कानून की धारा 6A को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बरकरार रखी संवैधानिक वैधता

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Modified Date: October 17, 2024 / 11:37 AM IST
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Published Date: October 17, 2024 11:24 am IST

नई दिल्ली: Citizenship Amendment Act नागरिकता कानून की धारा 6A की संवैधानिक वैधता आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला ​सुनाया है। कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने की है। उनका कहना था कि 6A उन लोगों को नागरिकता प्रदान करता है जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं और ठोस प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।

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जिनको नागरिका मिली है वह बरकरार रहेगी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस वक़्त पूर्वी पाकिस्तान से असम आने वाले लोगों की तादाद आजादी के बाद भारत आने वाले लोगों से कहीं ज़्यादा है। कोर्ट के फैसले का मतलब है कि 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक बांग्लादेश से आने वाले अप्रवासी भारतीय नागरिकता के लायक हैं। जिनको इसके तहत नागरिकता मिली है उनकी नागरिकता बरकरार रहेगी।

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दरअसल, सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A को 1985 में असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए संशोधन के बाद जोड़ा गया था। असम समझौते के तहत भारत आने वाले लोगों की नागरिकता के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए जोड़ी गई थी। इस धारा में कहा गया है कि जो लोग 1985 में बांग्लादेश समेत क्षेत्रों से 1 जनवरी 1966 या उसके बाद लेकिन 25 मार्च 1971 से पहले असम आए हैं और तब से वहां रह रहे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए धारा 18 के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

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