Muslim Girls Marriage Age: नई दिल्ली। अब देश में मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र पर सवाल उठ रहा है। वहीं बाल आयोग मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बाल आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। दी गई दलील में यह कहा गया कि 15 साल में शादी बाल विवाह कानून के खिलाफ है। कई राज्यों के हाईकोर्ट्स ने इस पर अलग-अलग फैसले दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट फैसले की मांग की गई है। वहीं अब इस पर सुप्रीम कोर्ट एक फैसला सुनाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई के लिए सहमत हो गया कि क्या बाल विवाह की अनुमति देने वाला मुस्लिम पर्सनल लॉ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 पर हावी होगा या नहीं। चूंकि मामला आज सुनवाई के लिए नहीं लिया जा सका, इसलिए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अनुरोध किया कि मामले को जल्द से जल्द सुना जाए और हल किया जाए, क्योंकि विभिन्न उच्च न्यायालय विपरीत फैसले दे रहे हैं।
बता दें कि सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में जल्द से जल्द लिस्ट करने की अपील की। ऐसे में इस मामले पर बुधवार या गुरुवार को सुनवाई हो सकती है। आपको बता दें कि देश में कानूनी तौर से लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल है जबकि लड़कों की शादी की उम्र 21 साल है। लेकिन कई मामलों में लड़की और लड़कों की शादी जल्दी हो जाती है। इसलिए लॉ कमीशन ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने की सिफारिश कर चुकी है। ऐसे में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कहता है कि मासिक धर्म शुरू होते ही लड़कियों की शादी की उम्र हो जाती है।
Muslim Girls Marriage Age: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि अमूमन लड़कियों को मासिक धर्म 15 साल में आता है, तो मुस्लिम लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में भी हो सकती है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस तर्क पर पंजाब और हरियाणा बोर्ड 2022 में सहमत हो चुका है और एक मामले में अपनी मुहर लगा चुका है, लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।