नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय महिला केंद्रित कानूनों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सोमवार को सुनवाई करने वाला है।
जनहित याचिका में दहेज प्रतिषेध अधिनियम, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में महिलाओं के प्रति क्रूरता संबंधी प्रावधान जैसे कानूनों की वैधता पर सवाल उठाया गया है।
याचिका पर न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ सुनवाई करेगी।
याचिकाकर्ता रूपशी सिंह द्वारा दायर याचिका में कानून में दुर्भावना और प्रावधानों में निहित अतार्किकता को रेखांकित किया गया है।
याचिकाकर्ता ने महिलाओं द्वारा झूठी शिकायतें दर्ज कराने तथा उन कानूनों का दुरुपयोग करने से पुरुषों पर होने वाले अत्याचारों से बचाने का अनुरोध किया है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 धर्म के आधार पर भेदभावपूर्ण है। यह घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 के प्रावधानों को महिला-केंद्रित बनाता है तथा पुरुषों के प्रति भेदभावपूर्ण है।
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