नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को राहत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया है।
हालांकि, न्यायिक मजिस्ट्रेट चतिंदर सिंह ने शिकायत पर संज्ञान लिया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि खरगे ने 27 अप्रैल 2023 को कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ तीखी टिप्पणी की थी।
अदालत ने नौ दिसंबर को एक आदेश में यह आरोप दर्ज किया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने चुनावी रैली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ टिप्पणी की जिससे शिकायतकर्ता को गुस्सा आया क्योंकि वह आरएसएस का सदस्य है।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसके पास आरोपी व्यक्तियों और गवाहों के बारे में ‘‘पूरा विवरण’’ है और इसलिए पुलिस को न तो कुछ बरामद करना है और न ही कोई भौतिक साक्ष्य एकत्र करने की आवश्यकता है।
अदालत ने कहा, ‘‘दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) (संज्ञेय मामले की जांच के लिए पुलिस को मजिस्ट्रेट का निर्देश) के तहत पुलिस द्वारा जांच का आदेश देने के लिए विवेकाधीन शक्ति का उपयोग करने का असली परीक्षण यह नहीं है कि कोई संज्ञेय अपराध हुआ है या नहीं, बल्कि यह है कि पुलिस एजेंसी द्वारा जांच की आवश्यकता है या नहीं।’’
अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता के पास सारी सामग्री उपलब्ध है और पुलिस को किसी तकनीकी या जटिल जांच की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने कहा, ‘‘कथित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश जारी करने के लिए सीआरपीसी की धारा 156 (3) को लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है।’’
अदालत ने कहा कि कथित आरोपी व्यक्तियों की पहचान सुनिश्चित कर ली गई है और किसी तथ्य को उजागर करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे शिकायतकर्ता की जानकारी में हैं।
अदालत के आदेश में आगे कहा गया कि कथित आरोपी से हिरासत में पूछताछ आवश्यक नहीं है।
हालांकि, अदालत ने इसका संज्ञान लेते हुए कहा कि शिकायतकर्ता को समन-पूर्व साक्ष्य पेश करने की स्वतंत्रता है। अदालत ने समन पूर्व साक्ष्य पेश करने के लिए 27 मार्च की तारीख नियत की।
भाषा
सुरभि मनीषा
मनीषा
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