नई दिल्ली: नियोजित शिक्षकों की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की रिव्यू पिटिशन को खारिज करते हुए 10 मई को दिए फैसले पर पुनर्विचार से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने शिक्षकों की याचिका खारिज करते हुए कहा है कि फैसले में कोई गलती नहीं है इसलिए इस पर कोई पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि इसी साल 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया था कि नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट का आदेश भी रद्द कर दिया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद सुनियोजित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दायर की थी।
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इससे पहले इस मामले को लेकर पटना हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर 2017 को अपना फैसला सुनाते हुए नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए. फिर राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लगाई गई।
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दरअसल बिहार सरकार के अधिनस्त 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों की मांग है कि उन्हें भी नियमित शिक्षकों के समान वेतन दिया जाए। बता दें अभी तक नियोजित शिक्षकों के वेतन का 70 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है। इसके अनुसार नियोजित शिक्षकों को अभी 20 से 25 हजार वेतन का भुगतान किया जाता है। वहीं, अगर समान काम और समान वेतन की मांग पूरी हो जाती तो इन्हें 35 से 44 हजार तक सैलरी मिल सकती थी।
वहीं, इस मामले को लेकर बिहार की नीतीश कुमार की सरकार का कहना है कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य समान वेतन दिए जाने पर सरकार को 9500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। इस संबंध में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 36 पन्नों का हलफनामा पेश किया है। इस आधारा पर कोर्ट ने बिहार सरकार के हक में फैसला सुनाया है।
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