उच्चतम न्यायालय ने पुणे में कचरा प्रसंस्करण संयंत्र को बंद करने के एनजीटी का फैसला खारिज किया |

उच्चतम न्यायालय ने पुणे में कचरा प्रसंस्करण संयंत्र को बंद करने के एनजीटी का फैसला खारिज किया

उच्चतम न्यायालय ने पुणे में कचरा प्रसंस्करण संयंत्र को बंद करने के एनजीटी का फैसला खारिज किया

:   Modified Date:  September 12, 2024 / 06:50 PM IST, Published Date : September 12, 2024/6:50 pm IST

नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें पुणे के बाणेर स्थित कचरा प्रसंस्करण संयंत्र को बंद करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायालय ने कहा कि इसे बंद करना जनहित की दृष्टि से “अहितकर” होगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि संयंत्र बंद कर दिया जाता है, तो पुणे शहर के पश्चिमी भाग में उत्पन्न जैविक अपशिष्ट को पूरे शहर से होते हुए पूर्वी भाग में स्थित हडपसर तक ले जाना होगा।

न्यायमूर्ति बी.आर गवई, न्यायमूर्ति पी.के मिश्रा और न्यायमूर्ति के.वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, “इससे निस्संदेह दुर्गंध फैलेगी और जनता को परेशानी होगी।’’

शीर्ष अदालत ने पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) और अन्य द्वारा दायर अपीलों पर अपना फैसला सुनाया। इनमें एनजीटी के अक्टूबर 2020 के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें नगर निकाय को बाणेर में कचरा प्रसंस्करण संयंत्र (जीपीपी) बंद करने का निर्देश दिया गया था।

एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जीपीपी को चार महीने में वैकल्पिक स्थान पर स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया था।

जीपीपी के संचालक ने एनजीटी से आदेश की समीक्षा का अनुरोध किया था, लेकिन दिसंबर 2020 में अधिकरण ने इसे खारिज कर दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि समीक्षा आवेदन खारिज करने के एनजीटी के आदेश को भी उसके समक्ष चुनौती दी गई थी।

शीर्ष अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि एनजीटी ने अक्टूबर 2020 में उस याचिका पर फैसला पारित किया था, जिसमें बाणेर में जीपीपी के संचालन से रियायतकर्ता को रोकने की मांग की गई थी।

पीठ ने कहा, “हमने यह भी पाया है कि अधिकरण का यह निष्कर्ष भी त्रुटिपूर्ण और तथ्यात्मक रूप से गलत है कि जिस भूखंड पर जीपीपी का निर्माण किया गया था, वह शुरू में जैव-विविधता पार्क के लिए आरक्षित था। यह भूखंड शुरू से ही जीपीपी के लिए आरक्षित रहा है और निकटवर्ती भूखंड जैव-विविधता पार्क के लिए आरक्षित था।”

इसने कहा कि अधिकरण का जीपीपी को बंद करने का निर्देश त्रुटिपूर्ण है।

पीठ ने कहा, “इसके अलावा, हम पाते हैं कि जीपीपी को बंद करना जनहित को बढ़ावा देने के बजाय जनता के हित के लिए अहितकर होगा।”

शीर्ष अदालत ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लेख करते हुए कहा कि नियम मौके पर ही अपशिष्ट के प्रसंस्करण को भी प्राथमिकता देते हैं। इसने परिवहन लागत एवं पर्यावरणीय प्रभाव को कमतर करने के लिए विकेन्द्रीकृत प्रसंस्करण को प्राथमिकता दिए जाने पर जोर दिया।

एनजीटी के अक्टूबर 2020 और दिसंबर 2020 के आदेशों को खारिज करते हुए पीठ ने पीएमसी और संचालक को आवश्यक कदम उठाने के लिए आगाह किया, ताकि आसपास की इमारतों में रहने वाले लोगों को दुर्गंध के कारण परेशानी न उठानी पड़े।

भाषा नोमान सुरेश

सुरेश

 

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