नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने वैवाहिक विवाद में एक बच्चे की यात्रा पर प्रतिबंध लगाने संबंधी दुबई की एक अदालत के आदेश की आलोचना की तथा इसे ‘‘दमनकारी’’ और ‘‘मानवाधिकारों का हनन’’ करार दिया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने बच्चे के पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नोटिस जारी किया, जो घाना के नागरिक हैं और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दुबई में रहते हैं।
पीठ ने 17 अप्रैल को आदेश दिया, ‘‘याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया जाए, जिसका जवाब 28 अप्रैल 2025 तक दिया जाए।’’
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वैवाहिक विवाद में अदालत द्वारा यात्रा प्रतिबंध लगाना वस्तुतः ‘‘घर में नजरबंद’’ करने के समान होगा।
बच्चे के पिता ने आरोप लगाया है कि बेंगलुरु निवासी एवं उनसे अलग रह रही उनकी पत्नी दुबई की एक अदालत के आदेश के बावजूद उनके बेटे को दुबई से भारत ले गई।
तथ्यों पर गौर करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता निखिल गोयल से कहा, ‘‘आपने अदालत से एक ‘दमनकारी’ आदेश प्राप्त किया जो मानवाधिकारों का पूरी तरह से हनन करता है। वैवाहिक विवाद में एक अदालत बच्चे पर यात्रा प्रतिबंध कैसे लगा सकती है।’’
शीर्ष अदालत ने तलाक का आदेश पारित करने में दुबई की परिवार अदालत के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया और कहा कि पति और पत्नी दोनों ईसाई हैं और शरीयत कानून के दायरे में नहीं आते हैं।
गोयल ने कहा कि दोनों पक्षों की शादी दुबई में हुई थी और वे वहीं रह रहे थे।
पीठ ने कहा कि वह इस तथ्य पर विचार करेगी कि बच्चे का कल्याण सर्वोपरि है और उसने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय का यह निर्णय सही था कि विवाद से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेने का काम स्थानीय पारिवार अदालत पर छोड़ दिया जाए।
बच्चे के पिता ने उच्च न्यायालय के 10 दिसंबर के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उसकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर निर्णय लेने में अदालत ने त्रुटि की है।
उन्होंने उच्च न्यायालय से अधिकारियों को यह निर्देश देने का आग्रह किया कि वे उनके बच्चे को अदालत में पेश करें और उन्हें सौंप दें।
वहीं, महिला ने अदालत के आदेशों से बचने के आरोपों से इनकार किया और कहा कि मस्कट और बाद में भारत की यात्रा उससे अलग रह रहे उसके पति द्वारा किए गए शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार के कारण आवश्यक थी, जिसका बच्चे पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था।
उसने दलील दी कि अलग रह रहे पति ने उनके बेटे पर गैरकानूनी यात्रा प्रतिबंध लगवाया था।
भाषा सुभाष अविनाश
अविनाश