नयी दिल्ली, तीन जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक के कांग्रेस विधायक टी डी राजेगौड़ा की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसे उन्होंने उनपर ‘‘अस्पष्ट आरोप’’ लगाने संबंधी एक भाजपा नेता की चुनाव याचिका के खिलाफ दायर किया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि राजेगौड़ा की अर्जी पर विचार करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि चुनाव याचिका में साक्ष्य प्रस्तुत किए जाने के बाद वह कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी दलीलें पेश कर सकते हैं।
राजेगौड़ा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि भाजपा के डी एन जीवराजा ने उच्च न्यायालय में दायर चुनाव याचिका में बिना किसी साक्ष्य के काले धन के इस्तेमाल जैसे कुछ ‘‘अस्पष्ट आरोप’’ लगाए हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘शुरू में हम भी अस्पष्ट आरोपों को लेकर सोच में पड़ गए थे, लेकिन कानून में कार्यवाही के दौरान साक्ष्य प्रस्तुत करने का प्रावधान है।’’
जीवराजा ने 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान चिकमंगलूर जिले की श्रृंगेरी विधानसभा सीट पर राजेगौड़ा के निर्वाचन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। 2024 में राजेगौड़ा द्वारा दायर इसी तरह की याचिका में शीर्ष अदालत ने उन्हें उपयुक्त समय पर उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी आपत्ति जताने की अनुमति दी थी।
पीठ ने दीवान से कहा कि 27 सितंबर 2024 को दिए गए उसके पहले के आदेश में राजेगौड़ा की चिंता का ध्यान रखा गया था और यदि शीर्ष अदालत अब उनकी अर्जी पर विचार करती है और निर्देश देती है तो यह उसके अपने ही आदेश का विरोधाभासी होगा।
भाषा शफीक सुभाष
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