दोषसिद्धि और दो वर्ष की सजा होने पर जनप्रतिनिधियों की स्वत: अयोग्यता को शीर्ष अदालत में चुनौती |

दोषसिद्धि और दो वर्ष की सजा होने पर जनप्रतिनिधियों की स्वत: अयोग्यता को शीर्ष अदालत में चुनौती

दोषसिद्धि और दो वर्ष की सजा होने पर जनप्रतिनिधियों की स्वत: अयोग्यता को शीर्ष अदालत में चुनौती

Edited By :  
Modified Date: March 25, 2023 / 01:54 PM IST
,
Published Date: March 25, 2023 1:54 pm IST

नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करके जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहराए जाने और दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा सुनाये जाने पर जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) के तहत ‘‘स्वत: अयोग्यता’’ को चुनौती दी गई है।

केरल के एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत का रुख करने का तात्कालिक कारण आपराधिक मानहानि के 2019 के एक मामले में गुजरात के सूरत की एक अदालत द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराये जाने के बाद उन्हें वायनाड लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य के तौर पर अयोग्य करार दिये जाने से संबंधित एक हालिया घटनाक्रम है।

याचिकाकर्ता, आभा मुरलीधरन ने यह घोषणा किए जाने का अनुरोध किया कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8(3) के तहत स्वत: अयोग्यता ‘मनमानी’ और ‘अवैध’ होने के कारण संविधान के विरुद्ध है।

याचिका में दावा किया गया है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की विधायी निकायों से स्वत: अयोग्यता उन्हें ‘उनके निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं द्वारा उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों का स्वतंत्र रूप से निर्वहन करने से रोकती है, जो लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।’’

अधिवक्ता दीपक प्रकाश के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘वर्तमान परिदृश्य में कथित रूप से संबंधित सदस्य के खिलाफ अपराधों की प्रकृति, गंभीरता पर गौर किये बिना सीधे सीधे अयोग्यता का प्रावधान है और इससे ‘स्वत:’ अयोग्यता होती है, जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है क्योंकि विभिन्न दोषसिद्धियां अपीलीय चरण में उलट जाती हैं। ऐसी परिस्थितियों में, जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे सदस्य का मूल्यवान समय व्यर्थ हो जाता है।’’

गांधी की अयोग्यता के संबंध में, याचिका में कहा गया है कि दोषसिद्धि को चुनौती दी गई है, लेकिन 1951 अधिनियम के तहत वर्तमान अयोग्यता नियमों के संचालन, अपील की स्थिति, अपराधों की प्रकृति, अपराधों की गंभीरता और उसका समाज एवं देश पर प्रभाव का विचार नहीं किया गया और सीधे सीधे स्वत: अयोग्य करार देने का आदेश दिया गया।

इसमें कहा गया है कि संसद के सदस्य लोगों की आवाज हैं और वे अपने उन लाखों समर्थकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को अक्षुण्ण रखते हैं जिन्होंने उन्हें चुना है।

याचिका में केंद्र, निर्वाचन आयोग, राज्यसभा सचिवालय और लोकसभा सचिवालय को पक्षकार बनाया गया है।

मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के 24 घंटे के भीतर शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने पार्टी के नेता व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सदन की सदस्यता से अयोग्य करार देने की घोषणा की।

उनकी अयोग्यता की घोषणा करते हुए लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी की। अधिसूचना में कहा गया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सूरत की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद केरल के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा सदस्य (राहुल गांधी) अपनी दोषसिद्धि अर्थात 23 मार्च, 2023 से सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाते हैं।

भाषा अमित नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)