‘सुपर-जुपिटर’ का पता चला, यह सबसे ठंडे बर्हिग्रहों मे एक हो सकता है : अनुसंधानकर्ता |

‘सुपर-जुपिटर’ का पता चला, यह सबसे ठंडे बर्हिग्रहों मे एक हो सकता है : अनुसंधानकर्ता

‘सुपर-जुपिटर’ का पता चला, यह सबसे ठंडे बर्हिग्रहों मे एक हो सकता है : अनुसंधानकर्ता

:   Modified Date:  July 25, 2024 / 09:17 PM IST, Published Date : July 25, 2024/9:17 pm IST

नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) पृथ्वी से करीब 12 प्रकाशवर्ष दूर एक ‘सुपर जुपिटर’ का पता चला है जो सबसे ठंडे बर्हिग्रहों में से एक हो सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर सहित विभिन्न देशों के अनुसंधानकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने अपने अनुसंधान के आधार पर यह जानकारी दी।

अनुंधानकर्ताओं के आकलन के मुताबिक ग्रह का तामपान दो डिग्री सेल्सियस है। अनुसंधान पत्र के लेखकों ने कहा कि ‘एप्सिलॉन इंडी एब’ हमारे सौर मंडल से बाहर पता किए गए किसी भी अन्य बर्हिग्रह से ज्यादा ठंडा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार पृथ्वी से सबसे नजदीक का बर्हिग्रह प्रॉक्सिमा सेंटॉरी बी है जिसकी दूरी करीब चार प्रकाश वर्ष है।

नासा की जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन की मदद से ‘एप्सिलॉन इंडी एब’ का पता लगाया गया।

‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित अनुसंधानपत्र में लेखकों ने लिखा कि पहले पता लगाए गए बर्हिग्रह सबसे युवा तथा सबसे गर्म बर्हिग्रह हैं, जो अभी भी उतनी ही ऊर्जा उत्सर्जित कर रहे हैं जितनी पहली बार बनने के समय उत्सर्जित की थी।

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि जब समय के साथ ग्रह ठंडे होते हैं और सिकुड़ते हैं और उनकी चमक फीकी होती है, इसलिए उनका पता लगाना मुश्किल होता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने पुष्टि की है कि हमारी आकाशगंगा में करीब 5000 अरब बर्हिग्रह हैं।

एप्सिलॉन इंडी ए तारे का चक्कर लगा रहे एप्सिलॉन इंडी एबी को ‘सुपर जुपिटर’ कहा जा रहा है।

जर्मनी स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉमी में कार्यरत और अनुसंधानपत्र लेखन का नेतृत्व कर रहीं एलिजाबेथ मैथ्यू ने कहा, ‘‘यह थोड़ा गर्म है और अधिक भारी है; लेकिन यह अब तक पता लगाए गए अन्य ग्रहों के मुकाबले जुपिटर (बृहस्पति ग्रह) से अधिक मिलता जुलता है।’’

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, ‘एप्सिलॉन इंडी ए’ तारे के ‘आगे-पीछे चलने’ से किसी संभावित ग्रहीय पिंड के संकेत मिले। उन्होंने कहा कि लेकिन यह ग्रह उनके आदर्श पूर्वानुमानों से मेल नहीं खाता।

मैथ्यू ने कहा, ‘‘यह भार के लिहाज से दोगुना है और अपने तारे से थोड़ा दूर है। हमारी उम्मीदों के विपरीत अलग कक्षा में घूमता है। इस अंतर की वजह यह अब भी एक पहेली है।’’ उन्होंने कहा कि इसके वायुमंडल की संरचना भी हमारे पूर्वानुमान से अलग है।

आईआईटी कानपुर में अंतरिक्ष, ग्रहीय, खगोलशास्त्र और अभियांत्रिकी (एसपीएएसई) विभाग में सहायक प्राध्यापक प्रशांत पाठक ने कहा, ‘‘ग्रह के वायुमंडल का असामान्य संजोयन प्रतीत होता है और संकेत मिलता है कि इसमें धातु कणों की उच्च मात्रा है। हमारे सौरमंडल के ग्रहों के इतर अलग कार्बन-ऑक्सीजन अनुपात है।’’

अनुसंधानकर्ताओं ने ग्रह का पता लगाने के लिए प्रकाश की छोटी तरंगदैर्ध्य का उपयोग किया और पाया कि छवि ‘‘अपेक्षा से अधिक धुंधली’’ थी।

टीम का मानना ​​है कि इसका मतलब यह हो सकता है कि ग्रह के वायुमंडल में मीथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा काफी है जो प्रकाश की छोटी तरंगदैर्ध्य को अवशोषित कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे यह भी संकेत मिलता है कि वायुमंडल बहुत अधिक बादल वाला हो सकता है।

पाठक ने कहा कि इस खोज से ‘‘(ग्रह के) निर्माण और विकास के बारे में रोचक प्रश्न सामने आए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एप्सिलॉन इंडी एब और अन्य निकटवर्ती ग्रहों के अध्ययन से हम ग्रहों के निर्माण, वायुमंडलीय संरचना और हमारे सौर मंडल से परे जीवन की संभावना के बारे में गहरी समझ हासिल करने की उम्मीद करते हैं।’’

भाषा धीरज नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)