जयपुर, 24 जनवरी (भाषा) राजस्थान के राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने शुक्रवार को कहा कि दीक्षित छात्र अर्जित ज्ञान का नैतिकता और विवेकशीलता के साथ इस्तेमाल कर लोक कल्याण के लिए समर्पित रहें तथा निरंतर बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के प्रयास करें।
बागडे शुक्रवार को कोटा में वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा जीवन पथ का आलोक है, उससे प्रेरणा लेते हुए अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ें और विकसित भारत के संकल्प को साकार करें।”
राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत की परंपरा जीवन का एक नया अध्याय है, जिसमें छात्र को ज्ञान के सागर में उतरकर अनेक नवाचार करने होंगे और देश-समाज के उत्तरदायित्वों का जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन करना होगा।
उन्होंने कहा कि केवल डिग्री प्राप्त करना पर्याप्त नहीं, कौशल और बौद्धिक क्षमता का संवर्धन करना अत्यंत आवश्यक है।
बागडे ने छात्रों का आह्वान किया, “ऐसा कर्म करो कि आपकी पहचान बन जाए। हर कदम ऐसा रखो कि निशान बन जाए। भगवान महावीर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए ऐसा जीवन जियो कि कर्तव्य पथ से कोई आपको डिगा न सके, कोई आपकी तपस्या भंग न कर सके।”
उन्होंने शिक्षकों का भी आह्वान किया कि वे अपना ज्ञान भंडार छात्रों को हस्तांतरित करें और हमेशा उनके विकास के लिए प्रयासरत रहें।
बागडे ने कहा, “नयी शिक्षा नीति के उत्कृष्ट परिणाम आने वाले समय में परिलक्षित होंगे। यह शिक्षा नीति देश, समाज और हर नागरिक के लिए उपयोगी होगी। यह सिर्फ लिखने-पढ़ने के बजाय जीवन कैसा हो, इसकी बारीकियां सिखाएगी।”
भाषा
पृथ्वी पारुल
पारुल
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)