छात्र ‘रचनात्मक नागरिकता’ के विचार के प्रति कटिबद्ध हों : न्यायमूर्ति नागरत्ना |

छात्र ‘रचनात्मक नागरिकता’ के विचार के प्रति कटिबद्ध हों : न्यायमूर्ति नागरत्ना

छात्र ‘रचनात्मक नागरिकता’ के विचार के प्रति कटिबद्ध हों : न्यायमूर्ति नागरत्ना

:   Modified Date:  September 14, 2024 / 09:59 PM IST, Published Date : September 14, 2024/9:59 pm IST

नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बी. वी. नागरत्ना ने शनिवार को छात्रों से ‘रचनात्मक नागरिकता’ के विचार के प्रति खुद को प्रतिबद्ध करने का आग्रह किया, साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि सामाजिक कार्य को सच्ची नागरिकता का आधार बनाना चाहिए।

वरिष्ठता के आधार पर भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहीं न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कानूनी पेशे में लैंगिक विविधता की कमी पर भी दुख जताया।

उन्होंने यहां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संविधान “न तो लुटियन की दिल्ली का उत्पाद है और न ही इसपर इसका एकमात्र अधिकार क्षेत्र है।”

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि व्यक्तिगत या स्थानीय संबंधों के आधार पर संबंध बनाना तथा सामाजिक कार्यों के माध्यम से समाज में सक्रिय रूप से योगदान देना रचनात्मक नागरिकता की आधारशिला होनी चाहिए।

उन्होंने संविधान सभा में डॉ. बी आर आंबेडकर के समापन भाषण का भी हवाला दिया, जिसमें आंबेडकर ने सामाजिक परिवर्तन के लिए संवैधानिक तरीकों को बढ़ावा देने में वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला था।

उन्होंने कहा कि संविधान किसी खास समूह के लिए विशिष्ट नहीं है।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने स्नातक छात्रों से ‘रचनात्मक नागरिकता के विचार के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने’ का आह्वान किया।

उन्होंने कानूनी पेशे में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व को लेकर भी चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि भारत के उच्च न्यायालयों में केवल 13 प्रतिशत महिला न्यायाधीश हैं, जबकि नामांकित वकीलों में महिलाओं का आंकड़ा महज 15 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि कानूनी फर्मों में महिलाओं की संख्या केवल 27 प्रतिशत है।

उन्होंने दुख जताया कि कई महिलाओं को व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरह की मांगों के कारण अपने करियर के चरम पर कानूनी पेशे से बाहर होना पड़ता है।

एनएलयू, दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर जी एस बाजपेयी ने भी इस अवसर अपने विचार व्यक्त किये।

उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों की शैक्षणिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और एक मजबूत शोध पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने, शैक्षिक समानता हासिल करने और अंतरराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने में एनएलयू के प्रयासों को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि इन प्रयासों ने एनएलयू, दिल्ली को लगातार सातवें साल केंद्र की एनआईआरएफ रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल करने में मदद की है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने स्नातक छात्रों को डिग्री प्रदान की।

दीक्षांत समारोह में न्यायमूर्ति मनमोहन, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश चंद्रधारी सिंह और राष्ट्रीय राजधानी की शिक्षा, कानून, न्याय और विधायी मामलों की मंत्री आतिशी सहित कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए।

भाषा सुरेश धीरज

धीरज

 

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