पराली जलाना: न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा सरकारों को फटकार लगाई, शीर्ष अधिकारियों को तलब किया |

पराली जलाना: न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा सरकारों को फटकार लगाई, शीर्ष अधिकारियों को तलब किया

पराली जलाना: न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा सरकारों को फटकार लगाई, शीर्ष अधिकारियों को तलब किया

:   Modified Date:  October 16, 2024 / 05:59 PM IST, Published Date : October 16, 2024/5:59 pm IST

नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पराली जलाने के मामले में उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने को लेकर हरियाणा और पंजाब सरकारों को बुधवार को फटकार लगाई तथा दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को 23 अक्टूबर को उसके समक्ष पेश होकर स्पष्टीकरण देने को कहा।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर हरियाणा और पंजाब सरकार के अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को निर्देश दिया।

राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर में पराली जलाया जाना एक प्रमुख कारण है।

उच्चतम न्यायालय पंजाब और हरियाणा सरकारों द्वारा जून 2021 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पराली जलाने को रोकने के लिए सीएक्यूएम द्वारा जारी निर्देशों को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाने से नाखुश था।

पीठ ने कहा, ‘‘यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है। अगर मुख्य सचिव किसी के इशारे पर काम कर रहे हैं तो हम उनके खिलाफ भी समन जारी करेंगे। अगले बुधवार को हम मुख्य सचिव को बुलाकर सारी बातें पूछेंगे। कुछ नहीं किया गया है, पंजाब सरकार ने भी ऐसा ही किया। यह रवैया पूरी तरह से अवहेलना करने वाला है।’’

न्यायालय ने इस मामले पर पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य में पिछले तीन साल में पराली जलाने को लेकर एक भी मुकदमा नहीं चलाया गया।

पीठ ने कहा, ‘‘आप लोगों पर मुकदमा चलाने से क्यों कतराते हैं। यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है। यह आयोग के वैधानिक निर्देशों के क्रियान्वयन का मामला है। इसमें कोई राजनीतिक विचार लागू नहीं होगा। आप लोगों को उल्लंघन करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। आप केवल नाममात्र का जुर्माना लगा रहे हैं। इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) आपको पराली जलाने का स्थान बता रहा है और आप कहते हैं कि पराली जलाने का स्थान नहीं मिला।’’

पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने कहा कि जमीनी स्तर पर निर्देशों को लागू करना कठिन था और प्राधिकारियों ने खेतों में पराली जलाने वाले किसानों के राजस्व अभिलेखों में ‘‘लाल प्रविष्टियां’’ दर्ज कर दीं।

उच्चतम न्यायालय ने पंजाब सरकार के इस कथित गलत बयान पर भी आपत्ति जताई कि उसने छोटे किसानों को ट्रैक्टर, चालक और ईंधन उपलब्ध कराने के लिए धनराशि देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है।

इसने कहा कि पंजाब सरकार ने किसानों को ट्रैक्टर उपलब्ध कराने के लिए केंद्र से धनराशि मांगने का कोई प्रयास नहीं किया है।

शीर्ष अदालत ने सीएक्यूएम की तुलना बिना दांत वाले बाघ से की।

पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार की गलती है कि उसने प्रदूषण के क्षेत्र में जाने-माने विशेषज्ञों को सीएक्यूएम के सदस्यों के रूप में नहीं चुना।

पीठ ने कहा, ‘‘हम सदस्यों और उनकी शैक्षणिक योग्यता का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन वे वायु प्रदूषण के क्षेत्र में योग्य या विशेषज्ञ नहीं हैं।’’

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि इनमें से एक सदस्य छह साल तक मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का नेतृत्व करना कोई योग्यता नहीं है। आप जानते हैं कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कैसे काम करते हैं।’’

इसके बाद न्यायाधीशों ने सुझाव दिया कि वायु प्रदूषण के मुद्दे से निपटने के लिए सीएक्यूएम को किसी विशेषज्ञ एजेंसी की सहायता लेनी चाहिए।

इससे पहले, न्यायालय ने पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली में होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने में विफल रहने पर सीएक्यूएम को फटकार लगाई थी और कहा था कि उसे अधिक सक्रिय रवैया अपनाने की आवश्यकता है।

उच्चतम न्यायालय ने 27 अगस्त को कहा था कि दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कर्मचारियों की कमी के कारण ठीक ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं और राष्ट्रीय राजधानी एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए जिम्मेदार निकाय से आगामी सर्दियों के समय प्रदूषण और पराली जलाने से निपटने के लिए आगामी योजना बताने को कहा।

पीठ ने यह भी सवाल किया था कि सीएक्यूएम द्वारा गठित की जाने वाली सुरक्षा और प्रवर्तन संबंधी उप-समिति, रिक्त पदों के कारण दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रतिनिधित्व की कमी के चलते कैसे काम करेगी।

पीठ ने पांचों एनसीआर राज्यों को रिक्त पदों को तत्काल भरने का निर्देश दिया और कहा कि बेहतर होगा यदि ऐसा 30 अप्रैल, 2025 से पहले हो।

पीठ ने सीएक्यूएम अध्यक्ष को एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया था, जिसमें बताया जाए कि आयोग द्वारा वायु प्रदूषण के खतरे को रोकने के लिए क्या कदम उठाना प्रस्तावित है, जिसे अक्सर राष्ट्रीय राजधानी से सटे राज्यों में खेतों में धान की पराली जलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)