नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) मतदाता सूची की शुचिता पर छिड़ी बहस के बीच निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को कहा कि जन्म और मृत्यु पंजीकरण निकायों के साथ निकट समन्वय स्थापित करते हुए मतदाता सूची की नियमित अद्यतन प्रक्रिया को मजबूत किया जाएगा।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) और निर्वाचन आयोग के विशेषज्ञों के बीच मतदाता सूची को आधार से जोड़ने पर तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा।
आयोग ने देश भर में मतदाता क्रमांक के दोहराव को हटाने और तीन महीने के भीतर इस दशकों पुराने मुद्दे को समाप्त करने का संकल्प लिया है।
निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा, ‘‘जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिकारियों के साथ निकट समन्वय में मतदाता सूची के नियमित अद्यतनीकरण को मजबूत किया जाएगा।’’
राजनीतिक दलों के साथ निर्वाचन आयोग की बातचीत में यह स्पष्ट किया गया कि मसौदा मतदाता सूची में कोई भी समावेशन या विलोपन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 में सभी राजनीतिक दलों के लिए उपलब्ध दावों और आपत्तियों को दर्ज करने के लिए प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत अपील की प्रक्रिया द्वारा संचालित होता है।
ऐसी अपील के अभाव में, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा तैयार की गई सूची ही मान्य होती है।
आयोग ने याद दिलाया कि जनवरी में विशेष सारांश पुनरीक्षण कवायद के पूरा होने के बाद केवल 89 प्रथम अपील और केवल एक द्वितीय अपील दायर की गई थी।
निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा कि उसने चुनाव प्रक्रियाओं को मजबूत करने की दिशा में ‘‘साहसिक कदम’’ उठाए हैं।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों सहित लगभग 5,000 चुनाव अधिकारी 31 मार्च तक जमीनी स्तर पर मुद्दों के समाधान के लिए राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें करेंगे।
आयोग का कहना है कि लगभग एक करोड़ चुनाव अधिकारियों की निरंतर क्षमता वृद्धि के लिए डिजिटल प्रशिक्षण की भी योजना बनाई गई है।
ज्ञानेश कुमार के मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के एक महीने के भीतर आयोग ने बूथ स्तर और अधिकारी स्तर तक पूरी चुनाव मशीनरी को ‘‘सभी मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ावा देने और मतदान केंद्रों पर उनके लिए एक सुखद अनुभव सुनिश्चित करने के रास्ते पर मजबूती से’’ लगा दिया है।
प्रमुख हितधारक होने के नाते राजनीतिक दल भी जमीनी स्तर पर इसमें शामिल हो रहे हैं।
यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे कि किसी भी मतदान केंद्र पर 1,200 से अधिक मतदाता न हों और मतदान केंद्र मतदाताओं के आवास से दो किमी के दायरे में हों।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि सुदूर ग्रामीण मतदान केंद्रों पर भी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी, मतदान में शहरी लोगों की उदासीनता से निपटने और उनकी अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ऊंची इमारतों तथा कॉलोनियों के समूहों के परिसर में मतदान केंद्र होंगे।
इसने कहा कि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और उनके नियुक्त बूथ-स्तरीय एजेंटों को मतदाता सूची के दावों और आपत्तियों सहित चुनावी कानूनों के अनुसार उचित प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षित करने की आयोग की पेशकश का राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है।
निर्वाचन आयोग ने कहा, ‘‘ये साहसिक और दूरगामी पहल चुनाव के पूरे दायरे को कवर करती हैं तथा सभी प्रमुख हितधारकों को भागीदारीपूर्ण तरीके से शामिल करती हैं।’’
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