नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकारों को सतत विकास और पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन बनाते हुए अरावली क्षेत्र में अवैध खनन रोकना चाहिए।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कहा कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
पीठ ने कहा, ‘‘अरावली में अवैध खनन को रोकना होगा। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाएं, अन्यथा पहाड़ों के नाम पर केवल खोखली संरचनाएं होने का क्या फायदा? सतत विकास और पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा।’’
शीर्ष अदालत अरावली पर्वतमाला में कथित अवैध खनन से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही है।
शीर्ष अदालत ने 2009 में पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील अरावली पहाड़ियों में प्रमुख और छोटे खनिजों के खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।
राजस्थान सरकार ने पूर्व में अदालत से कहा था कि जहां तक खनन गतिविधियों का सवाल है, अरावली पहाड़ियों और अरावली पर्वतमाला के बीच वर्गीकरण के मुद्दे पर शीर्ष अदालत द्वारा निर्णय लिए जाने की जरूरत है।
शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘हम प्रथम दृष्टया महसूस करते हैं कि यदि राज्य का मानना है कि अरावली क्षेत्र में खनन गतिविधियां पर्यावरण हित के लिए भी हानिकारक हैं, तो राज्य सरकार को वहां खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने से किसी ने नहीं रोका है।’’
भाषा सुरेश नेत्रपाल
नेत्रपाल
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